Ranchi News: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि शराब घोटाले की परत जिस तरह से खुल रही रही है, उससे यह साफ हो रहा है कि झारखंड में दिल्ली से भी बड़ा शराब घोटाला हुआ है। जिस प्रकार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, उनके द्वारा पत्र लिखकर आगाह किए जाने के बावजूद कार्रवाई से बचते रहे, उससे यह स्पष्ट हो रहा कि यह घोटाला सुनियोजित तरीके से कराया गया है, जिसमें मुख्यमंत्री स्वयं शामिल हैं । मरांडी बुधवार को पार्टी कार्यालय में प्रेसवार्ता में बोल रहे थे।

मरांडी ने कहा कि 19 अप्रैल 2022 को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को झारखंड उत्पाद विभाग के पदाधिकारियों की ओर से झारखंड राज्य विवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (जेसीबीसीएल) की निविदा में अंकित बिंदुओं की अवहेलना कर एक साजिश के तहत छत्तीसगढ़ की कंपनी विशेष को टेंडर देने और उससे होने वाली भारी राजस्व की क्षति की ओर ध्यान आकर्षित कराया था।
उन्होंने कहा कि पत्र में यह भी उल्लेख किया था कि निविदा की कंडिका 9.3 में 3.90 प्रतिशत अधिकतम लाभांश को बदलकर निविदा डालने वाली इकाइयों से न्यूनतम मार्जिन दर्शाने की बात अंकित है, जिसके फलस्वरूप ए टू जेड इंफ्रा सर्विस लिमिटेड, प्राइम वन वर्कफोर प्राइवेट लिमिटेड, सुमित फैसिलेशन लिमिटेड और ईगर हंटर सॉल्यूशन लिमिटेड, जो पूर्व में उनके मनोनुकूल शर्तें नहीं होने के कारण टेंडर नहीं डाल सके थे। टेंडर में भाग ले सकेंगे।
उन्होंने कहा कि पत्र लिखने के बावजूद सरकार ने संज्ञान नहीं लिया। उन्हें पता था गड़बड़ी हो रही है, लेकिन गड़बड़ी रोकने के बजाय उसमें साथ दिया और उससे होने वाले लाभ में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की जिन कंपनियों का नाम पत्र में लिखा था, उनकी निविदा मंजूर की गई और उन्हें काम मिला। सवाल यह उठता है कि 2022 में पत्र लिखकर आगाह करने के बाद भी 2025 तक मुख्यमंत्री ने क्यों लूट होने दी? क्यों कार्रवाई नहीं की ?
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री की नींद तब खुली जब 27 सितंबर 2024 को अखबार में खबर छपी कि शराब घोटाले में छत्तीसगढ़ में आईएएस अधिकारी विनय चौबे के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। झारखंड सरकार में बैठे लोगों के कान खड़े हुए, जांच का भय सताने लगा ।इसलिए आनन फानन में अक्टूबर 2024 में प्राइमरी इन्क्वायरी (पीई) स्थापित की गई। लेकिन इस समय भी एफआइआर दर्ज नहीं हुआ। इससे स्पष्ट है कि घोटाले पर पर्दा डालने और बड़ी मछलियों को बचाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की कार्रवाई के बाद हड़बड़ी में जांच शुरू हुई, जो पूरी तरह से सोची समझी साजिश है।
अवैध डीजीपी रखना भी साजिश का हिस्सा
बाबूलाल मरांडी ने यह भी कहा कि अब यह स्पष्ट हो रहा कि अवैध तरीके से क्यों पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को रखा गया है। संवैधानिक रूप में विगत 21 दिनों से झारखंड डीजीपी विहीन है। लेकिन एक योजना के तहत अवैध डीजीपी से अवैध काम लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस घोटाले के पहले भी राज्य के दो अंचलाधिकारी मनोज कुमार और शैलेश एक घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के गवाह हैं। एसीबी ने मुकदमा दर्ज किया छापेमारी की ताकि मामले को लटकाया जा सके और अब गवाहों को धमकी दी जा रही कि गवाही से मुकर जाओ नहीं तो कार्रवाई होगी।
मरांडी ने कहा कि राज्य में एक जमीन से जुड़ा बड़ा मामला है, जिसमें तीन लोग उमेश टोप्पो, राज लकड़ा और प्रवीण जायसवाल प्रमुख गवाह हैं। इनपर भी बयानों से मुकरने के लिए दबाव डाला गया और ऐसा नहीं करने पर इन्हें जेल भेज दिया गया। इससे स्पष्ट है कि ये लोग बोल दें, तो कई बड़ी मछलियां फंस जाएंगी। उन्होंने कहा कि शराब घोटाले से जुड़ा एक और मामला है, जिसमें दो प्लेसमेंट एजेंसियों ने फर्जी बैंक गारंटी जमा किया। कोर्ट में भी फर्जी ही जमा किया। लेकिन अभी तक विभाग ने न तो एफआईआर दर्ज किया और नहीं कोई कार्रवाई की। कंपनी ने बिना टेंडर के दुकानें बांट दिए, इससे स्पष्ट है कि सभी मिले हुए हैं।
मरांडी ने आगे कहा कि विनय चौबे को गिरफ्तार कर सरकार यह भ्रम फैलाना चाहती है कि वह घोटाले में शामिल नहीं है, जबकि घोटाले के तार मुख्यमंत्री तक जुड़े हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से यह मांग की कि शराब घोटाला दो राज्यों से जुड़ा हुआ है, इसलिए इसकी जांच सीबीआई से कराने की अविलंब अनुशंसा करें। मरांडी ने विनय चौबे की अस्वस्थता पर भी चिंता व्यक्त की, सरकार से उनकी चिकित्सा एवं सुरक्षा की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करने की भी मांग की। प्रेसवार्ता में मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक और प्रवक्ता अजय साह भी मौजूद थे।