रांची।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद झारखंड के विभिन्न जेलों में बंद करीब 7 हजार कैदियों को छोड़ने का निर्णय लिया गया है। यह जानकारी देते हुए जेल आईजी वीरेंद्र भूषण ने मंगलवार को कहा कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए कैदियों को छोड़ने का निर्णय लिया गया है। गृह विभाग का आदेश मिलते ही कैदियों को पैरोल तथा जमानत पर छोड़े जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी। छोड़े जानेवाले कैदियों को अपने-अपने क्षेत्र के थाना के संपर्क में रहना होगा। किसी अपराधिक गतिविधि में शामिल होने की जानकारी मिलने पर पुलिस उन्हें तुरंत पकड़ कर वापस जेल भेज दिया जाएगा। इन कैदियों की लिस्ट तैयार करने का आदेश भी सभी जेलों को दिया गया है।
मामले को लेकर उच्चस्तरीय कमिटी की वर्चुअल बैठक झारखंड स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (झालसा) के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अध्यक्षता में हुई। बैठक में सुप्रीम कोर्ट के सात मई के आदेश के आलोक में जेलों में भीड़ कम करने पर चर्चा हुई। जेल में बंद आरोपियों को औपबंधिक जमानत, जमानत और पैरोल पर छोड़ने का निर्णय लिया गया। बैठक में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सह गृह विभाग के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, जेल आइजी वीरेंद्र भूषण वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े हुए थे।
उल्लेखनीय हो की झारखंड के कुल 29 जेल जिसमें सात सेंट्रल जेल , 14 डिस्ट्रिक्ट जेल, हजारीबाग में एक ओपन जेल तथा सात सब-जेल में लगभग 23000 कैदी बंद हैं। इनमें विचाराधीन कैदियों की संख्या 13000, सजायाफ्ता कैदियों की संख्या लगभग 10 हजार है। सात-सात साल से दस साल तक सजा पाने वाले कैदियों को पैरोल पर तथा चोरी-छिनतइ जैसे छोटे अपराधिक घटना में शामिल रहने वाले विचाराधीन कैदियों को छोड़ने का प्रस्ताव है।