नई दिल्ली।
आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में गिरफ्तार रिपब्लिक टीवी के चीफ एडिटर अर्नब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट से बुधवार को अंतरिम जमानत मिल गई। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई के पश्चात अर्नब को ₹50 हजार के निजी मुचलके पर जमानत दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान यह माना कि मुंबई हाई कोर्ट को मामले में आरोपी को अंतरिम जमानत दे देनी चाहिए थी। कोर्ट ने कहा कि अगर संवैधानिक कोर्ट किसी की स्वतंत्रता का ध्यान नहीं देगी तो फिर कौन करेगा।
जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान अर्नब की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि अन्वय नाइक की कंपनी 7 साल से आर्थिक दिक्कत में थी। आशंका है कि उन्होंने अपनी मां की हत्या की और इसके बाद आत्महत्या की। अर्नब ने सभी भेंडर काे भुगतान किया है। केस को दोबारा खोलने के नियमों का पालन नहीं किया गया।
साल्वे ने अर्नब और रिपब्लिक के खिलाफ हाल में दर्ज हुए सभी मामलों का हवाला देते हुए कहा कि उनके विरुद्ध एक के बाद एक मामले दर्ज किए जा रहे हैं। गृह मंत्री के कहने पर केस को दोबारा खोला गया है। उन्होंने केस को सीबीआई के हवाले करने की मांग रखी। मौके पर महाराष्ट्र सरकार की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि मामले पर निचली अदालत में सुनवाई चल रही है।
जिस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि क्या यह केस वाकई ऐसा है जिसमें हिरासत में लेकर पूछताछ जरूरी है। क्या साल्वे के मुवक्किल पर सीधा कोई केस बन रहा है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने सिब्बल से पूछा कि क्या यह वाकई भारतीय दंड संहिता की धारा 306 का केस है। व्यक्तिगत स्वतंत्रता जरूरी अधिकार है।
उल्लेखनीय हो की खुदकुशी के लिए उकसाने के मामले में अर्नब गोस्वामी को पिछले 4 नवंबर को महाराष्ट्र पुलिस ने गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद उन्हें अलीबाग के ट्रायल कोर्ट में पेश किया गया जहां से कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। इसके बाद उन्होंने मुंबई हाई कोर्ट का रुख किया। कोर्ट ने पिछली 9 नवंबर को अंतरिम जमानत याचिका खारिज करते हुए उन्हें ट्रायल कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल करने का निर्देश दिया था।हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया था कि वे अरनव की याचिका का निपटारा 4 दिनों के अंदर करें। अर्नब को इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक व उसकी मां के द्वारा 2018 में किए गए सुसाइड के मामले में गिरफ्तार किया गया था।