पटना।
पटना एम्स में वैक्सीन ट्रायल में आए 50 फ़ीसदी से ज्यादा बच्चों की जांच में एंटीबॉडी पहले से बनी मिली है। लिहाजा ऐसे बच्चों में वैक्सीन का ट्रायल नहीं किया गया। जांच के दौरान सीरो रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ कि ट्रायल में आए कई बच्चों में पहले से ही एंटीबॉडी मौजूद थे। मतलब इन बच्चों के शरीर में पहले से करोना के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रणाली सशक्त हो चुकी थी। यह तभी संभव हुआ होगा जब इन बच्चों का शरीर कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ा होगा। इस कारण ट्रायल के लिए आए 50 से 60% बच्चों को टीके का डोज नहीं दिया गया।
एम्स की सीनियर डॉक्टर वीणा सिंह ने बताया कि एंटीबॉडी बनने के बाद भी इन बच्चों पर विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। कोरोना वायरस का म्यूटेंट लगातार बदल रहा है। इन बच्चों में दूसरी लहर के वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनी है। उन्होंने बताया कि यह जरूरी नहीं है कि तीसरी लहर में वायरस का म्यूटेंट ऐसा ही हो। ऐसे में इन बच्चों के लिए विशेष सतर्कता जरूरी है।
एम्स के अधीक्षक डॉ सीएम सिंह के मुताबिक ट्रायल में शामिल होने आए 12 से 18 साल के कुछ बच्चों में एंटीबॉडी पाई गई है। एंटीबॉडी रहने से टीके की जरूरत नहीं होती है। ट्रायल में सिर्फ उन बच्चों को शामिल किया गया है जिनमें एंटीबॉडी नहीं मिली है। मालूम हो कि इस आयु वर्ग के 27 बच्चों का वैक्सीन ट्रायल पटना एम्स में हो चुका है।