पटना।
जदयू कोटे के भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी की मुश्किलें बढ़ सकती है। पटना हाई कोर्ट में अशोक चौधरी को मंत्री पद पर नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर मंगलवार को आंशिक सुनवाई कर न्यायालय ने सुनवाई की अगली तारीख 19 जुलाई को निर्धारित की है। याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार के अनुसार एमएलसी का टाइम पूरा होने के बाद भी अशोक चौधरी 6 मई से 5 नवंबर 2020 तक मंत्री पद पर बने रहे। किसी हाउस का सदस्य नहीं रहने के बावजूद इन्हें 16 नवंबर को फिर से मंत्री बना दिया गया। इसके बाद 17 मार्च 2021 को अशोक चौधरी को विधान पार्षद के रूप में मनोनीत किया गया।
वकील दीनू कुमार ने संविधान के अनुच्छेद 163 (1) तथा 164 (4) का हवाला देते हुए हाईकोर्ट में कहा कि मंत्री पद पर बने रहने के लिए किसी सदन का सदस्य होना अनिवार्य है। किसी भी सदन का सदस्य नहीं रहने के बावजूद किसी को मंत्री बनाया जा सकता है लेकिन उन्हें 6 माह के अंदर किसी सदन का चुनाव जीतना अनिवार्य है। मगर इसके विपरीत अशोक चौधरी किसी सदन का चुनाव लड़े ही नहीं बल्कि उन्हें मनोनीत कर दिया गया है।