रामगढ़।
कोरोना के खौफ ने इंसानियत को भी तार-तार कर रख दिया है। सारे रिश्ते नाते दुर हो गए है। अंतिम संस्कार में अर्थी को चार कंधा भी नसीब नही हो रहा है। ऐसा ही एक मामला शुक्रवार को रामगढ़ के अरगड्डा कोलियरी में देखने को मिला।जहां पिता की अर्थी को जब चार कंधा नही मिले तो बेटियों ने ही शव को कंधा देकर श्मशान पहुॅचाया और अंतिम संस्कार किया। जानकारी अनुसार अरगड्डा निवासी सुजीत सिन्हा शुकव्रार को मौत हो गई। वे पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। घर में ही उनका इलाज उनकी पत्नी बबीता सिन्हा करा रही थीं।
मौत के बाद परिवार को अंतिम संस्कार की चिंता सताने लगी। घर में इतने पुरुष नहीं थे की सुजीत सिन्हा की अर्थी को कंधा देकर शमशान तक पहुंचा सके। जिसके बाद उनकी बेटी प्रियंका, मनीषा, परी और बेटे सुशांत ने अपने पिता की अर्थी को कंधा दिया और श्मशान घाट तक पहुंचाया। उन लोगों को इस हालत में देखकर अरगड्डा की महाकाल मंडली के अध्यक्ष सूरज कुमार पासवान उर्फ सिक्की पासवान ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर अंतिम संस्कार करने में उनकी मदद की। सूरज पासवान ने बताया कि कोरोना काल में कोई भी व्यक्ति अंतिम संस्कार में शामिल होने से कतरा रहा है। यही वजह है कि अपने परिजनों को खोने वाले परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा रहा है।