नई दिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन नए किसान कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने मसले का हल निकालने के लिए एक समिति का भी गठन किया है। कमेटी में साउथ एशिया इंटरनेशनल फूड पॉलिसी के निदेशक प्रमोद कुमार जोशी, शेतकरी संगठन के अनिल घनवटे, भारतीय किसान यूनियन के भूपेंद्र सिंह मान और कृषि विशेषज्ञ अशोक गुलाटी को शामिल किया है। 18 जनवरी को फिर सुनवाई होगी। वही किसान संगठन ने समिति के सदस्यों के चयन पर रोष जताया है। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने गणतंत्र दिवस परेड बाधित करने की आशंका पर सॉलीसीटर जनरल की अर्जी पर नोटिस भी जारी करने का आदेश दिया है।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता मनोहर लाल शर्मा ने कहा कि किसान किसी कमेटी के पास जाना नहीं चाहते हैं। सिर्फ कानून रद्द करवाना चाहते हैं। किसानों को कारपोरेट हाथों में छोड़ देने की तैयारी है। किसानों की जमीन छीन जाएगी। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हम आंतरिक आदेश में कहेंगे कि जमीन को लेकर कोई कांट्रेक्ट नहीं होगा।भारतीय किसान यूनियन के वकील ने कहा कि आंदोलन में बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएं हिस्सा नहीं लेंगे। चीफ जस्टिस ने कहा कि हम आपके बयान को रिकॉर्ड पर ले रहे हैं। जबकि आंदोलनकारियों का समर्थन कर रहे वकील विकास सिंह ने कहा कि किसान को रामलीला मैदान में जगह मिलनी चाहिए। चीफ जस्टिस ने कहा कि रैली के लिए प्रशासन को आवेदन दिया जाता है। पुलिस शर्ते रखती हैं। शर्तों का अनुपालन नहीं होने पर रद्द करती है तो क्या किसी ने आवेदन दिया है। इस पर वकील ने कहा कि पता करना होगा। इधर किसान संगठनों ने समिति के चयन को लेकर रोष जताया है। उन्होंने समिति को निष्पक्षता पर संदेह जताया है। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि कोर्ट के फैसले से किसान निराश। टिकैत ने कहा कि कोर्ट के आदेश का परीक्षण कर संयुक्त मोर्चा बुधवार को आगे की रणनीति की घोषणा करेगा। जबकि किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने कहा कि सरकार अपने ऊपर के दबाव को कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के जरिए समिति ले आई है।