Araria News:- समूह लोन ग्रामीण आत्मनिर्भरता का जरिया बनने की जगह अब उनके लिए मुसीबत का सबब बनता जा रहा है। फारबिसगंज प्रखंड के किरकिचिया पंचायत के कटहरा गांव में एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां समूह लोन के बोझ ने एक परिवार को तबाह कर दिया।

गांव के रहने वाले 28 वर्षीय पवन चौहान ने स्वरोजगार के उद्देश्य से करीब चार लाख रुपये का समूह लोन तीन-चार कंपनियों से लिया था। लेकिन समय पर किस्तें न चुकाने की वजह से कंपनी प्रतिनिधियों द्वारा लगातार दबाव और धमकियां दी जाने लगीं। इससे तंग आकर पवन चौहान अपने परिवार के साथ गांव छोड़ गाजियाबाद चला गया और वहां दिहाड़ी मजदूरी करने लगा।
बीते 31 मई को मजदूरी से लौटते वक्त रास्ते में अज्ञात लोगों से झगड़ा हुआ जो मारपीट में बदल गया। पवन गंभीर रूप से घायल हो गया और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। गाजियाबाद पुलिस को उसकी जेब से एक कागज में पत्नी का मोबाइल नंबर मिला, जिससे संपर्क कर परिजनों को सूचना दी गई।
शव गांव लाने के लिए आर्थिक तंगी झेल रही पत्नी के पास कोई उपाय नहीं था। विवश होकर उन्होंने गांव में आधा कट्ठा जमीन पर बने घर को 38 हजार रुपये में गिरवी रखकर शव को गांव लाया और अंतिम संस्कार किया। पवन चौहान अपने चार भाइयों में सबसे बड़ा था और गाजियाबाद में गांव के अन्य मजदूरों के साथ काम कर रहा था।
गांव के मुखिया प्रतिनिधि कफील अंसारी और पंचायत समिति सदस्य तांत्रिक चौहान ने बताया कि समूह लोन न चुका पाने की वजह से गांव के लगभग 30-35 परिवार दूसरे राज्यों में पलायन कर चुके हैं। यह मामला न केवल आर्थिक बोझ का, बल्कि ग्रामीण समाज में बढ़ती असुरक्षा और टूटते सामाजिक ताने-बाने का भी दर्पण है।