मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणामों से एक खास ट्रेंड उभर कर सामने आया है, जिसने साबित कर दिया कि जिस पार्टी ने महिलाओं को ध्यान में रखकर चुनावी रणनीति बनाई, उसकी सत्ता बची रही। मध्य प्रदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना’ के तहत महिलाओं को मासिक नकद राशि देने की घोषणा की थी, और इस योजना का चुनावी नतीजों पर गहरा असर पड़ा। न सिर्फ शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव जीते, बल्कि वह पहले से भी ज्यादा मजबूत स्थिति में उभरकर सामने आए।
महिलाओं की वोटिंग ने बदली किस्मत
मध्य प्रदेश के चुनावी परिणामों से मिली सफलता ने कई अन्य राज्यों को भी प्रेरित किया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी महिलाओं को मासिक नकद राशि देने वाली योजनाओं की घोषणा की। महाराष्ट्र में ‘लाडकी बहीण योजना’ और झारखंड में ‘मईंया सम्मान योजना’ लॉन्च की गई। दोनों योजनाओं में महिलाओं को हर महीने एकमुश्त नकद राशि देने का वादा किया गया था, और चुनाव से ठीक पहले इन योजनाओं का ऐलान किया गया। इसका नतीजा यह हुआ कि दोनों राज्यों में सत्ताधारी पार्टी को महिलाओं का एकतरफा समर्थन मिला, जिसके चलते सरकारें अपनी सत्ता बचाने में सफल रहीं।
महिलाओं के वोट का असर: विपक्षी पार्टियों का दांव विफल
हालांकि, विपक्षी पार्टियों ने भी चुनावी घोषणा पत्रों में महिलाओं के लिए समान योजनाओं का जिक्र किया था, लेकिन महिलाओं ने सत्ताधारी पार्टियों पर विश्वास जताया। मध्य प्रदेश में ‘लाडली बहन योजना’ की राशि पहले 1000 रुपये थी, जो अब बढ़कर 2100 रुपये तक पहुंच गई है। दूसरी ओर, झारखंड और महाराष्ट्र में भी महिलाओं को हर महीने राशि देने का वादा किया गया था, और इन राज्यों के चुनावी परिणामों में इसका प्रभाव साफ तौर पर देखा गया।
वूमेन पावर का असर: चुनावी जीत की कुंजी
राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सरकारों ने महिलाओं के वोट को भांपने में चूक की, जबकि कर्नाटक में भी बीजेपी सरकार महिलाओं के प्रति जागरूक नहीं हो पाई। वहीं, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और झारखंड में महिलाओं की शक्ति को पहचानते हुए सत्ता में बैठी सरकारों ने चुनावी योजनाओं का लाभ उठाया। इन योजनाओं का प्रचार-प्रसार जोर-शोर से किया गया, और इसके परिणामस्वरूप इन राज्यों में सत्ताधारी पार्टियों को मजबूत समर्थन मिला।
क्या है इस ट्रेंड का संदेश?
यह साफ है कि महिलाओं की चुनावी ताकत अब सत्ता की कुंजी बन चुकी है। जिन सरकारों ने महिलाओं के हित में योजना बनाई, उन्हें न केवल समर्थन मिला, बल्कि उनकी सत्ता भी सुरक्षित रही। अब यह देखने वाली बात होगी कि आने वाले चुनावों में अन्य राज्य सरकारें इस ट्रेंड से कितना सीखती हैं और महिला मतदाता को अपने पक्ष में कैसे लामबंद करती हैं