पटना
सुबे में गठित नई सरकार में शिक्षा मंत्री बनाए गए मेवालाल चौधरी ने गुरुवार को पदभार ग्रहण करने के बाद ही पद से इस्तीफा दे दिया। जानकारी के अनुसार मेवालाल चौधरी पर लगे असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति व भवन निर्माण में भ्रष्टाचार को लेकर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा है। मेवालाल चौधरी को शिक्षा मंत्री बनाने की घोषणा के बाद से ही विपक्षी पार्टी राजद द्वारा उनके विरूद्ध भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जाने लगे थे। इस मामले में तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति और भवन निर्माण में भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों में आरोपी को शिक्षा मंत्री बनाया है। उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए कहा था कि क्राइम करप्शन एवं कम्युनिस्ट की बात सिर्फ मुख्यमंत्री करते रहेंगे या उस पर अमल भी करेंगे। बीएयू सबौर में मेवालाल चौधरी के वाइस चांसलर रहने के दौरान प्रोफेसर की नियुक्ति में धांधली हुई थी। तत्कालीन वाइस चांसलर पर आरोप लगने के बाद राज्यपाल के आदेश पर जांच हुई थी। हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस की जांच में उन पर लगे आरोपों को सही पाया गया था। इस मामले में मेवालाल चौधरी के भतीजे की गिरफ्तारी भी हुई थी। हालांकि मेवालाल चौधरी ने विपक्ष के आरोपों को बेबुनियाद बताया है। उन्होंने कहा है कि आरोप लगाने वाले दल के सुप्रीमो भ्रष्टाचार के मामले में जेल में हैं तो दूसरे जेल के दरवाजे पर खड़े हैं। उन्होंने कहा है कि उनके विरूद्ध लगे सारे आरोप निराधार हैं। वे चार्जशीटेड नहीं हैं। सारा मामला कोर्ट में है। इसी घटनाक्रम में राजद के सांसद अशफाक करीम के शिक्षा मंत्री से मिलकर उन्हें बधाई दिए जाने के भी सियासी मैंने लगाए जाने लगे थे। हालांकि सांसद ने इस मुलाकात को शिष्टाचार बताया था।