रविवार, 20 अक्तूबर 2024 को सुहागिन महिलाओं का प्रमुख पर्व करवा चौथ बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा। यह पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है और इसे कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन, विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य के लिए प्रातःकाल से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला व्रत करती हैं।
करवा चौथ का उत्सव विशेष रूप से उत्तर भारत के राज्यों जैसे दिल्ली, पंजाब, हरियाणा में लोकप्रिय है, लेकिन अब इसका प्रभाव यूपी, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में भी तेजी से बढ़ रहा है। इस दिन की खासियत यह है कि महिलाएं चांद के दर्शन के बाद ही अपना व्रत तोड़ती हैं। इसलिए, इस दिन चंद्रोदय का समय बेहद महत्वपूर्ण होता है। झारखंड के विभिन्न शहरों में करवा चौथ के दिन चंद्रोदय के समय को लेकर पहले से ही उत्सुकता है। हमने यहां झारखंड के प्रमुख शहरों के चंद्रोदय का समय बताया है, ताकि महिलाएं समयानुसार अपना व्रत तोड़ सकें…
झारखंड के प्रमुख शहरों में चंद्रोदय का समय:
- गोड्डा: शाम 07:20 बजे
- दुमका: शाम 07:25 बजे
- साहेबगंज: शाम 07:21 बजे
- पाकुड़: शाम 07:21 बजे
- जामताड़ा: शाम 07:28 बजे
- धनबाद: शाम 07:29 बजे
- देवघर: शाम 07:26 बजे
- बोकारो: शाम 07:31 बजे
- गिरिडीह: शाम 07:29 बजे
- रामगढ़: शाम 07:34 बजे
- चाईबासा: शाम 07:35 बजे
- खूंटी: शाम 07:35 बजे
- लातेहार: शाम 07:36 बजे
- रांची: शाम 07:35 बजे
- लोहरदगा: शाम 07:38 बजे
- कोडरमा: शाम 07:38 बजे
- हजारीबाग: शाम 07:33 बजे
- गुमला: शाम 07:39 बजे
- गढ़वा: शाम 07:39 बजे
- सिमडेगा: शाम 07:40 बजे
करवा चौथ की रस्में:
करवा चौथ की रस्में प्राचीन काल से चली आ रही हैं। महिलाएं इस दिन सूर्योदय से पहले “सरगी” खाती हैं, जिसे उनके ससुराल वालों द्वारा तैयार किया जाता है। दिन भर निर्जला व्रत रखने के बाद, चंद्रोदय के समय महिलाएं चुन्नी या छलनी के माध्यम से चांद को देखती हैं, फिर अपने पति को देखकर व्रत तोड़ती हैं। पति अपनी पत्नी को पानी और मिठाई का पहला निवाला खिलाकर व्रत का समापन कराता है। करवा चौथ का यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि पति-पत्नी के प्रेम और विश्वास को भी मजबूती प्रदान करता है