Patna: भारतीय प्रशासनिक सेवा (भाप्रसे) के अधिकारी संजीव हंस को मंगलवार को पटना हाई कोर्ट से रेप के केस में राहत मिल गयी है। संजीव हंस ने अपने खिलाफ दर्ज रेप और ब्लैकमेल के केस को रद्द करने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट में जस्टिस संदीप कुमार की पीठ ने फैसला सुनाते हुए रेप के एफआईआर को रद्द कर दिया।
पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर होने के साथ ही कोर्ट ने संजीव हंस के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई करने पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने इस मामले में 21 जून को आखिरी सुनवाई की थी और फिर फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज जस्टिस संदीप कुमार की बेंच ने इस मामले में फैसला सुनाया। जस्टिस संदीप कुमार ने कहा कि रेप के इस मामले में एफआईआर काफी देर से दर्ज कराया गया है। हाई कोर्ट की बेंच ने एफआईआर को लेकर कई और सवाल उठाये हैं और उसे रद्द करने का आदेश दिया है।
दूसरी ओर पीड़िता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कहा कि वे हाई कोर्ट के फैसले का अध्ययन कर रहे हैं। इसके बाद आगे की कार्रवाई पर विचार करेंगे। दीनू कुमार ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट जाकर भी पीड़िता के लिए न्याय मांगेगे।
संजीव हंस के खिलाफ रेप का केस बिहार के औरंगाबाद की एक महिला ने किया था। महिला का आरोप था कि राजद के तत्कालीन विधायक गुलाब यादव ने उसे धोखे से अपने फ्लैट पर बुलाकर रेप किया और फिर उसका वीडियो बनाया। वीडियो के आधार पर महिला को ब्लैकमेल किया गया। महिला ने आरोप लगाया था कि उसे दिल्ली और पुणे जैसे शहरों के बड़े होटलों में बुलाकर गुलाब यादव और उसके पार्टनर संजीव हंस ने रेप किया था। रेप के कारण उसे एक बच्चा भी हुआ है।
महिला ने 2022 में पटना पुलिस में रेप की शिकायत की थी लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं किया। इसके बाद महिला ने कोर्ट में याचिका दायर कर एफआईआर दर्ज करने की गुहार लगायी थी। कोर्ट के आदेश पर 2023 के जनवरी में पटना के रूपसपुर थाने में संजीव हंस और पूर्व विधायक गुलाब यादव के खिलाफ रेप, ब्लैकमेलिंग औऱ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया था। इस केस के अनुसंधान के बाद पटना पुलिस ने संजीव हंस और गुलाब यादव पर लगे रेप के आरोप को सही पाया था। पटना के एसएसपी ने भी अपने सुपरविजन रिपोर्ट में संजीव हंस पर रेप के आरोप को सही पाया।