Ranchi: झारखंड में दो सीटों के लिए हुए राज्यसभा चुनाव में दोनों उम्मीदवारों को निर्विरोध चुन लिया गया है। भाजपा प्रत्याशी डॉ प्रदीप वर्मा और इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी डॉ सरफराज अहमद राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित किए गए हैं। नामांकन वापसी की समय सीमा गुरुवार को दिन के तीन बजे समाप्त होते ही निर्वाची पदाधिकारी सैयद जावेद हैदर ने इसकी औपचारिक घोषणा कर दी।
राज्यसभा चुनाव के लिए पर्यवेक्षक बने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार के समक्ष दोनों निर्वाचित प्रत्याशी को चुनाव आयोग का प्रमाण पत्र सौंपा गया। इस दौरान प्रभारी सचिव सह निर्वाची पदाधिकारी के कार्यालय कक्ष में नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी, भाजपा विधायक सीपी सिंह, पूर्व भाजपा अध्यक्ष रविन्द्र राय सहित कई नेता मौजूद थे। महागठबंधन की ओर से सरफराज अहमद के साथ राज्यसभा सदस्य महुआ माजी और झारखंड मुक्ति मोर्चा के कई कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
निर्विरोध निर्वाचित होने के बाद भाजपा के डॉ प्रदीप वर्मा ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया। साथ ही कहा कि ‘जिस उम्मीद के साथ मुझे देश के सर्वोच्च सदन में जाने का अवसर प्रदान किया गया है उसकी मर्यादा को जरूर रखूंगा। झारखंड में कई तरह की समस्या है, जिसके समाधान के लिए प्रयास करुंगा।’
सरफराज अहमद ने हेमंत सोरेन और गुरु जी शिबू सोरेन के प्रति आभार जताते हुए कहा कि ‘हेमंत सोरेन ने जो आश्वासन दिया था उसे पूरा किया गया। महागठबंधन के सभी सदस्यों का साथ मिलने से मुझे देश के उच्च सदन में जाने का मौका मिला है। मैं झारखंड की सेवा पहले से करता रहा हूं आगे भी करता रहूंगा।
झारखंड में दो राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल तीन मई को पूरा हो रहा है। इसमें कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य धीरज प्रसाद साहू और भाजपा के समीर उरांव हैं। समीर उरांव को भाजपा ने लोहरदगा लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है। वे इससे पहले सिसई विधानसभा से विधायक भी रह चुके हैं।
11 मार्च को दोनों प्रत्याशियों ने दाखिल किया था पर्चा
डॉ प्रदीप वर्मा और डॉ सरफराज अहमद ने 11 मार्च को राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया था। सरफराज अहमद गांडेय विधानसभा से विधायक थे लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी से पहले उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
मुंबई के उद्योगपति हरिहर महापात्रा को नहीं मिले प्रस्तावक
मुंबई के उद्योगपति हरिहर महापात्रा ने राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र खरीदा था लेकिन वे विधायकों को प्रस्तावक के लिए तैयार नहीं कर पाए। इस वजह से उन्होंने खुद को चुनाव से दूर कर लिया।