Patna: राज्य सभा सदस्य सह बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाया कि जदयू के भीम संसद में सरकारी मशीनरी का भारी दुरुपयोग कर भीड़ जुटाने का प्रयास किया गया। दलित बस्तियों में काम करने वाले ‘विकास मित्र’, ‘टोला सेवक’, ‘तालिमी मरकज’ के हजारों कर्मियों को प्रलोभन देकर भीड़ जुटाई गई कि उन्हें राज्य कर्मी का दर्जा और वेतन वृद्धि दी जाएगी।
सांसद ने रविवार को बयान जारी कर कहा कि देश के सबसे बड़े दलित नेता स्वर्गीय रामविलास पासवान को राज्यसभा में जाने का विरोध करने और उनकी जाति पासवान को महादलित से अलग करने, मुसहर के नेता जीतन राम मांझी को अपमानित कर मुख्यमंत्री से हटाने और फिर विधानसभा में तुम-ताम और अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करने वाले नीतीश कुमार को बिहार का दलित कभी माफ नहीं करेगा।
शराबबंदी के कारण बिहार का पासी समाज भुखमरी की स्थिति में है। मुसहर समाज के सबसे ज्यादा लोग जेलों में बंद हैं। 75 साल तक कांग्रेस, राजद, जदयू की सरकार के बावजूद यदि 43 फीसदी दलित परिवार की आमदनी 6000 से कम है, 90 फीसदी लोग 10वीं से कम शिक्षित हैं, 75 फीसदी परिवारों को पक्का मकान नहीं है तो इसके लिए नीतीश, लालू, सोनिया जिम्मेवार हैं। सरकारी तंत्र के भरोसे भीड़ जुट सकती है लेकिन वोट नहीं मिल सकता।