Ranchi: सीबीआई के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत ने नौ वर्ष पुराने तारा शाहदेव मामले में तीनों आरोपितों को दोषी करार दिया है। आरोपितों में रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल हसन, उसकी मां कौशल रानी और झारखंड हाई कोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार (निगरानी) मुश्ताक अहमद शामिल हैं। अदालत ने सजा के बिंदु पर सुनवाई की तिथि पांच अक्टूबर निर्धारित की है।
अदालत पांच अक्टूबर को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये फैसला सुनायेगी। अदालत ने तीनों आरोपितों को आईपीसी की धारा 120बी, 496, 376(2)एन, 323, 298, 506 में दोषी पाया। अभियोजन पक्ष (सीबीआई) के वरिष्ठ लोक अभियोजक प्रियांशु सिंह मौजूद थे। लोक अभियोजक रवि कुमार ने उनकी सहायता की।
नेशनल शूटर तारा शाहदेव ने हिंदपीढ़ी थाने में रंजीत कोहली और उसकी मां कौशल रानी के खिलाफ 19 अगस्त, 2014 को मामला दर्ज कराया था। इसमें धर्म परिर्वतन, यौन उत्पीड़न और दहेज प्रताड़ना का आरोप लगाया गया था। झारखंड पुलिस ने अदालत में धारा 34/498ए के तहत रंजीत कोहली और उसकी मां कौशल रानी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की लेकिन इससे तारा शाहदेव संतुष्ट नहीं हुई। तार ने इसका विरोध किया। इसके बाद झारखंड सरकार ने मामला सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया।
सीबीआई ने 22 मई, 2015 को केस दर्ज किया। सीबीआई की डीएसपी सीमा पाहुजा ने केस का अनुसंधान किया। सीबीआई ने रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल हसन, उसकी मां कौशल रानी और झारखंड हाई कोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार (निगरानी) मुश्ताक अहमद के खिलाफ आईपीसी की धारा 120 बी, 496, 376, 323, 298, 354ए, 506 और 498 ए के तहत चार्जशीट दाखिल किया।
दायर चार्जशीट में कहा गया कि रंजीत सिंह कोहली ने साजिश के तहत मां कौशल रानी और झारखंड हाई कोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार (निगरानी) मुश्ताक अहमद के साथ मिलकर तारा शाहदेव से वास्तविक धर्म छिपाते हुए हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार 7 जुलाई, 2015 को शादी किया। अगले दिन मुश्ताक अहमद की मौजूदगी में निकाल पढ़ाया गया। मेहर की रकम भी उन्होंने दी। इसके चार-पांच दिन बाद मुश्ताक अहमद के घर पर इफ्तार पार्टी में तारा शाहदेव को जबरन प्रतिबंधित मांस खिलाया गया। साथ ही हिन्दू धर्म के बारे में अनाप-शनाप बोला गया। तारा शाहदेव के अनुसार वहां पर मुश्ताक अहमद ने उसके साथ छेड़छाड़ भी की। इसके अलावा तारा को कुत्ते से कटवाया भी गया।
रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल के घर सर्च के दौरान मुस्लिम धर्म की धार्मिक पुस्तक, दीवार पर एक विशेष धर्म का पोस्टर, कई पैकेट कंडोम और वीवीआईपी (कार की लाइट) बरामद किये गये थे। आरोपितों के खिलाफ दो जुलाई, 2018 को अदालत ने आरोप का गठन किया था। सीबीआई की ओर से 26 गवाहों का बयान कलमबद्ध कराया गया।
अदालत से मिला इंसाफ: तारा शाहदेव
सीबीआई कोर्ट से बाहर निकलने के बाद नेशनल शूटर तारा शाहदेव ने कहा कि नौ साल से इसी न्याय की उम्मीद थी। उन्हें न्यायालय पर पूरा भरोसा था। आखिरकार उन्हें कोर्ट से इंसाफ मिला। इससे वह संतुष्ट है। तारा शाहदेव के मामले में फैसला को सुनने के लिए रांची सिविल कोर्ट में हर कोई बेताब दिख रहा था। अधिवक्ता, पुलिस, आम लोग भी वहां काफी संख्या में मौजूद थे। फैसले को लेकर सुरक्षा के लिहाज से अलग से रैफ के जवान को तैनात किया गया था। इसमें महिला और पुरुष बल शामिल थे।
दूसरी ओर सीबीआई कोर्ट से दोषी करार दिए जाने के बाद तीनों दोषियों को पुलिस ने कस्टडी में ले लिया। तीनों को बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार (जेल) भेज दिया गया। रंजीत कोहली ने अदालत को एक पिटीशन देकर बूढ़ी मां के लिए कुछ सुविधाएं मुहैया कराने की मांग की है।