Kanpur: माफिया से राजनेता बने पूर्व सांसद अतीक अहमद एवं उसके भाई अशरफ की सिर्फ प्रयागराज में ही नहीं प्रतापगढ़, कानुपर समेत कई शहरों में अच्छी पकड़ थी।उल्लेखनीय है कि अतीक व अशरफ की शनिवार की रात पुलिस की अभिरक्षा में शाहगंज थाना के पास अस्पताल परिसर में अपराधियों की गोली लगने के साथ उनके आपराधिक एवं राजनीतिक गठजोड़ के बड़े इतिहास का अंत हो गया। माफिया अतीक की प्रयागराज में ही नहीं आस-पास के कई जनपदों में राजनीतिक हनक थी। अतीक का प्रभाव प्रतापगढ़, कौशाम्बी, सुल्तानपुर, जौनपुर,फतेहपुर एवं कानपुर समेत उत्तर प्रदेश के कई जिलों में अपराधिक तथा राजनीतिक दबदबा कायम था।
प्रयागराज व तबके इलाहाबाद के चकिया निवासी अतीक अहमद का जन्म 10 अगस्त 1962 में तांगा चलाने वाले फिरोज अहमद के घर में जन्म हुआ था। अतीक घर के पास स्थित एक स्कूल में पढ़ने लगा। 10वीं में पहुंचा तो फेल हो गया। इस दौरान अतीक का क्षेत्र में रहने वाले अपराधियों से संबंध हो गया था। अतीक अमीर बनने के लिए उसने लूट, अपहरण और रंगदारी वसूलने जैसी वारदातों को अंजाम देना शुरू कर दिया।
1997 में अतीक के खिलाफ हत्या का पहला मुकदमा दर्ज हुआ
1997 में अतीक के खिलाफ हत्या का पहला मुकदमा दर्ज हुआ। प्रयागराज(इलाहाबाद) के पुराने शहर में चांद बाबा का खौफ हुआ करता था। चांद बाबा इलाहाबाद का बड़ा गुंडा माना जाता था। आम जनता, पुलिस और राजनेता हर कोई चांद बाबा से परेशान थे। अतीक अहमद ने इसका फायदा उठाया। पुलिस और नेताओं से सांठगांठ हो गई और कुछ ही सालों में वह चांद बाबा से भी बड़ा बदमाश बन गया। जिस पुलिस ने अतीक को शह दे रखी थी, अब वही उसकी आंख की किरकिरी बन गया। अब उसे इन सबसे बचने का सबसे आसान तरीका राजनीति का लगा और फिर इसने 1989 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर इलाहाबाद पश्चिमी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत गया।
निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर राजनीति की शुरुआत करने के बाद अतीक समाजवादी पार्टी में शामिल हुआ फिर अपना दल में आ गया। अतीक पांच बार विधायक और एक बार फूलपुर से सांसद चुना गया था। सांसद बनने के बाद अपनी खड़ी गई शहर की राजनीतिक विरासत अपने छोटे भाई अब्दुल अजीम उर्फ अशरफ को शहर पश्चिमी की सीट से चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन दबंग राजू पाल से वह चुनाव में सफलता नहीं मिली।
उपचुनाव में बसपा प्रत्याशी राजू पाल ने अतीक अहमद के भाई अशरफ को हरा दिया था
2004 के आम चुनाव में फूलपुर से सपा के टिकट पर अतीक अहमद ने लोकसभा चुनाव जीत और सांसद बन दिल्ली चले गए। इसके बाद इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट खाली हो गई। इस सीट पर हुए उपचुनाव में सपा ने अतीक के छोटे भाई अशरफ को टिकट दिया था। लेकिन बसपा ने उसके सामने राजू पाल को खड़ा किया। उस उपचुनाव में बसपा प्रत्याशी राजू पाल ने अतीक अहमद के भाई अशरफ को हरा दिया था।
इस हार को अशरफ ही नहीं बल्कि अतीक भी पचा नहीं पाया। अशरफ को हराकर पहली बार विधायक बने राजू पाल की 25 जनवरी 2005 को दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में देवी पाल और संदीप यादव की भी मौत हुई थी। दो अन्य व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हुए थे। इस हत्याकांड में सीधे तौर पर सांसद अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ का कनेक्शन सामने आया था। फिलहाल अतीक व अशरफ जेल में बंद थे। पुलिस उमेश पाल हत्याकाण्ड मामले में पूछताछ करने के लिए न्यायालय के आदेश पर धूमनगंज पुलिस ले गई थी। वापस जाते समय अपराधियों की गोली के दोनों भाई शिकार हो गए।