Nawada: बिहार झारखंड की सीमा पर स्थित रजौली का जंगल इन दिनों आग की लपटों से धधक रहा है। जिससे कीमती लकड़ियां सहित कई पेड़ पाैधे जलकर राख हो रहे है, वन्यजीवों को भी क्षति पहुंचने की संभावना है। रजौली के पहाड़ों में फैलती आग की लपटों से जंगल में कई बेशकीमती जड़ी-बूटी जलकर राख हो रही है। वन्य प्राणी आश्रयणी क्षेत्र रजौली में धधकती आग के कारण जंगली जीव-जंतुओं के अस्तित्व पर भी खतरा मंडराने लगा है।
बताते चलें कि लोगों को हर मर्ज की दवा उपलब्ध कराने वाला हरा भरा रजौली के इन वन क्षेत्र को वन- प्राणी आश्रयणी क्षेत्र घोषित किया गया है।जिस क्षेत्र में आग की लपटे बढ़ रही है । वन प्राणी आश्रयणी रजौली की जीव-जंतुओं के लिए आशियाना के साथ-साथ पर्यावरण संतुलन में भी मददगार है। यह पहाड़ के घने जंगल के बीच रहने वाले आदिवासियों व आम जानो को जंगली फूल -फल के साथ-साथ हर मर्ज की दवा यानी जड़ी-बूटी भी मिलती है।धीरे-धीरे फैलती आग की लपटें से बेशकीमती लकड़ी और जड़ी बूटी विलुप्त होने के कगार पर आ गई है। आग की लपटे जैसे-जैसे बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे अपने आगोश में हरियाली से लेकर बेशकीमती लकड़ी को जलाकर नष्ट करते जा रहा है।
बताया जाता है कि क्षेत्र के लोग महुआ चुनने के लिए जंगल में आग लगाते हैं। आग लगाने वाले को यह नहीं मालूम है कि इस जंगल में नहीं दिखने वाले भी जीव जंतु रहेते हैं। आग से निपटने को लेकर वन्य अधिकारी किसी प्रकार का ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं । अधिकारी केवल मूकदर्शक बनकर तमाशा देख रहे हैं। वन विभाग के स्थानीय अधिकारी से लेकर बड़े अधिकारी तक चुप्पी साधे हुए हैं।लेकिन जंगल के बीच से निकल रहे धुंए और तेजी से बढ़ रहे आग की रफ्तर वन विभाग के आग भुझाने के दावों को मुंह चिढ़ा रहा हैं।
क्या कहते हैं,रेंजर
रेंजर मनोज कुमार ने बताया कि जंगल में महुआ चुनने वाले के द्वारा आग लगाया है। हमलोग आग बुझाने का प्रयास कर रहें है। लेकिन गंभीरता आप की लपटों के कारण काबू पाना मुश्किल हो रहा है। तेज हवा के कारण आग तेजी से फैलता नजर आ रहा है।