Patna: बिहार आज 111 वर्ष पूरा चुका है। इस उपलक्ष्य में पूरे प्रदेश के सभी जिला मुख्यालय में प्रशासन द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है ।आज से बिहार दिवस को लेकर तीन दिनों तक बिहार में कई कार्यक्रम के आयोजन होना है। इसको लेकर सरकारी स्तर से घोषणा की गई है । बिहार के गवर्नर के साथ साथ राज्य के सीएम नीतीश कुमार,डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा,सूचना एवम जनसंपर्क मंत्री संजय झा सहित पक्ष और विपक्ष के तमाम नेताओं ने अपने अपने तरफ से प्रदेश वासियों को बिहार दिवस की शुभकामनाएं दी है।
आपको बताते चलें कि आज ही के दिन 1912 को बंगाल और उड़ीसा से बिहार अलग हुआ था। उससे पूर्व बिहार बंगाल प्रोविंस का हिस्सा था। वर्ष 2005 में जब सुबह के मुखिया बने नीतीश कुमार तब उन्होंने बिहार दिवस मनाने की घोषणा की थी और 2008 में बड़े स्तर पर बिहार दिवस को मनाने की शुरुआत की गई थी।
22 मार्च 1912 को जानकार बताते हैं कि लंबे संघर्ष के बाद दरभंगा महाराज रामेश्वर सिंह जो एक कमेटी के अध्यक्ष बनाया गया और अली इमाम को इस कमेटी का उपाध्यक्ष बनाया गया था। बिहार को अलग प्रांत बनाने के संघर्ष में आखिरकार इन सभी को उपलब्धि मिल गई और 12 दिसंबर 1911 को बिहार को अलग राज्य का दर्जा मिला । वहीं 22 मार्च 1912 को बिहार बंगाल और उड़ीसा से अलग हो गया। इसकी राजधानी पटना को घोषित किया गया।
राज्य का नामकरण बिहार पड़ने के पीछे भी बहुत बड़ी वजह है। दरअसल बिहार का नाम बौद्ध विहारो के विहार शब्द से हुआ है। इस राज्य का नाम पहले विहार था और फिर आगे चलकर बिहार हो गया। इस बिहार का शुरू से ही गौरवशाली इतिहास रहा है। हिंदू पुराणों और ग्रंथों के अनुसार माता सीता का जन्म स्थल बिहार के सीतामढ़ी में और बिहार से ही बुद्ध और जैन धर्म की उत्पत्ति हुई थी। इतना ही नहीं देश के लोकतंत्र की जननी वैशाली बिहार का ही है साथ ही साथ दुनिया का सबसे पुराना विश्वविद्यालय नालंदा यूनिवर्सिटी बिहार में स्थित है।
शून्य की खोज करने वाले आर्यभट्ट इसी बिहार से थे और आजाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद बिहार सही बने थे। बिहार शुरू से ही देश की चाहे राजनीति हो या फिर धार्मिक आस्था सबों में अव्वल रहा है। इस बिहार दिवस को प्रशासनिक स्तर से मनाने का सारा श्रैय बिहार के सीएम नीतीश कुमार को जाता है। बिहार के प्रमुख जिले नालंदा, पटना, गया, वैशाली ,सीतामढ़ी, सारण, सिवान और मोतिहारी जिले से कई इतिहास जुड़े हुए हैं।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी इसी बिहार के चंपारण की धरती से सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया था जो आज भी भारतीय इतिहास के पन्नों में शुमार है।