देवेंद्र शर्मा
रांची। झारखंड में नक्सली और अपराध कर्मी लगातार हिंसा की धटना को अंजाम दे रहे है ।प्रदेश में प्रतिदिन दस से बारह हत्या की घटना रिकार्ड की जा रही है । प्रदेश के राजस्व शहर में खासकर रांची, जमशेदपुर, धनबाद, बोकारो, पलामू, चतरा और चाईबासा में अपराधिक घटना में तेजी आ गयी है। बाबा नगरी देवघर में भी खुनी हिंसा की घटना रिकार्ड की जा रही है। हर घटना में अपराध कर्मी हिंसा में अत्याधुनिक हथियार का ही इस्तेमाल कर रहे है। नक्सली हो या अपराध कर्मी सभी दस्ते के पास आधुनिक हथियार उपलब्ध है।
घटना के बाद यह पाया जा रहा है की गोली ए के 47, 56 या बिशेष मारक क्षमता के हथियार से ही चलाये जाते रहे है। धनबाद, जमशेदपुर, रांची में हथियार के तस्करों ने अपनी मंडी बनायी है । इन जिलों में हथियार बनाने के कारखाने चलाये जाने की सुचना प्राप्त हुई है। सूत्र का कहना है की बिहार के मुंगेर, गया और नालंदा से हथियार की आपूर्ति एक बार गति पकड़ ली है।हथियार तस्कर किसी भी हथियार को पुरी तरह तैयार करने के बजाए टुकड़े टुकड़े में उस यहां ला रहे है। इन राज्य से इनके मिस्त्री को अब सीधे झारखंड के सम्बन्धित जिले जहां तस्कर का अड्डा होता है बुलाकर डिमांड के अनुसार तैयार कर बेचने की खबर है। इससे पुलिस की निगाह से बच कर अपने धंधे को चलाने में सहयोग मिलता है। सूत्र का कहना है की हथियार के सभी उपकरण रेल मार्ग से ही यहां लाये जा रहे है।
राजधानी के बाद डिमांड के आधार पर विभिन्न क्षेत्र मे भेजा जाता है। सूत्र का कहना है की ए के 47 की कीमत दो से ढाई लाख होती है परन्तु यह तैयार इस प्रकार किया जाता है की विदेशी कम्पनी के उत्पाद फेल हो रहे है। बिहार के हथियार मिस्त्री अब अपने औजार तैयारी के उपकरण लेकर चल रहे । हथियार की मरम्मती का काम हो या नये निर्माण का काम वो उनके सामने ही बैठ कर ठीक करते है बेह्तर गुणवत्ता बाले रिवाल्वर, रायफल सबका दाम निर्धारित रहता है । काम के हिसाब से वो झारखंड के जिलों मे भ्रमण करते है। सूत्र का कहना है की अब हथियार जंगल या पहाड़ों में तैयार नही किया जाता है । घने रिहायशी शहरी इलाकों में अपराधी रहते भी है और उसी स्थल पर मिनी कारखाना भी चल रहा ।
झारखंड में हथियार का आयात होता है परन्तु यहां से उसके मुल्य के मादक पदार्थ का निर्यात खुलकर किया जा रहा है । झारखंड में अवैध हथियार का कारोबार करने बाले विभिन्न प्रकार के मादक पदार्थ को धडल्ले से दूसरे राज्यों में तस्करी कर रहे है। अधिकांश अपराध कर्मी वर्त्तमान समय में मादक पदार्थ के साथ हथियार का धंधा जोरो से चला रखा है। झारखंड के अफीम की मांग बिहार बंगाल ओडिशा में अधिक बतायी जा रही है। झारखंड के लगभग हर जिले में खासकर जंगल और पठारी क्षेत्र में अफीम की खेती खुलेआम की जा रही है ।