पटना। अब देश भर के 17 जोन के रेलवे महाप्रबंधक का निरीक्षण बिना तामझाम के होगी। निरीक्षणो के दौरान जीएम को कोई स्पेशल ट्रेन नहीं मिलेगी ओर न उनके आवाभगत के लिए कर्मचारियों की फौज उपलब्ध होगी। रेल मंत्रालय ने अंग्रेजो के समय से चली आ रही राजशाही परंपरा पर रोक लगा दी है। मालूम हो कि जीएम के निरीक्षणो में राजशाही परंपरा वर्षो से चली आ रही थी। रेल मंत्रालय के इस कदम से फिजूल खर्च और समय की बचत होगी।
रेलवे बोर्ड के निदेशक कुलदीप सिंह ने अपने आदेश में कहा कि जीएम का न स्पेशल ट्रेन मिलेगी और न ही आवभगत में 100 से अधिक रेलकर्मियों की फौज रहेगी। यह आदेश आरडीएमओ नेशनल ऑफ इंडियन रेलवे (एनएआईआर) समेत अन्य संस्थाओं के जीएम पर भी लागु होगा। भारतीय रेल में यह प्रथा अंग्रेजों के शासन काल से थी ओर इस तरह के निरीक्षण पर निकलते ही उनके साथ सभी विभागोे के वरीय अधिकारी के अलावा संबंधित रेल मंडल के डीआएम भी रहते है।
प्रत्येक जोन के महाप्रबंधक अपने आने वाले मंडल का निरीक्षण दो से तीन साल में एक बार करना होता है। इसका मिनट टू मिनट प्रोग्राम भी बनता था और इसकी तैयारी तीन से चार माह पहले शुरू हो जाती थी। जिस भी स्टेशन का जीएम निरीक्षण करते हैं उस स्टेशन रंग रोगन के साथ-साथ कई मूल भूत सुविधाएॅ भी उपलब्ध करायी जाती थी।
जीएम का वार्षिक निरीक्षण के दौरान यह व्यवस्था भी रहती थी कि जीएम जिस भी बोगी में रहते थे और उतरने के क्रम में उनके बोगी के दोनों हैंडल को कई बार साफ किया जाता था ।उतरने के क्रम में प्लेटफार्म पैर पौछना व कालीन बिझायी जाती थी जो कि वे बंद कर दी गई है। रेलवे ने जीएम डीआरएम के यहॉ निवास स्थलों पर रसोईयों और नौकरों की सुविधा भी कम कर दिया है और उनकी राजसाही पर भी ब्रेक लगाया है। इस मानसिकता को बदलने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहल की थी।