रांची। झारखंड स्टेट बार काउंसिल के आह्वान पर शुक्रवार को राज्यभर के 33 हजार अधिवक्ता कोर्ट फीस सहित अन्य मांगों को लेकर न्यायिक कार्यों से अलग रहे। इस कारण हाई कोर्ट सहित राज्य के अधीनस्थ न्यायालयों में मामले की सुनवाई प्रभावित हुई। शनिवार को भी अधिवक्ता न्यायिक कार्य नहीं करेंगे।
इस संबंध में झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण ने कहा कि राज्यभर के अधिवक्ता शुक्रवार को न्यायिक कार्य से अलग रहे। शनिवार को भी अधिवक्ता न्यायिक कार्य नहीं करेंगे। आठ जनवरी को राज्य के सभी जिला बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ काउंसिल की बैठक होगी। इसमें आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श कर निर्णय लिए जाएंगे। हालांकि, कुछ अधिवक्ताओं के कोर्ट जाने और पैरवी करने की सूचनाएं मिली हैं। यदि ऐसा हुआ है तो काउंसिल निश्चित रूप से वैसे अधिवक्ताओं के खिलाफ विधि-सम्मत कार्रवाई करेगी।
उन्होंने कहा कि कोर्ट फीस में भारी बढ़ोत्तरी का अधिवक्ता विरोध कर रहे हैं। सरकार कोर्ट फीस संशोधन विधायक को वापस ले। अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए बजट में राशि का प्रावधान किया जाए तथा राज्य में अविलंब एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाए। उधर, महाधिवक्ता राजीव रंजन कोर्ट गए और सरकार की ओर से कई मामलों में पैरवी की। उन्होंने बताया कि झारखंड स्टेट बार काउंसिल का न्यायिक कार्य से अलग रहने का निर्णय गलत और अवैध है। इसे देखते हुए उन्होंने मामलों में पैरवी करने का निर्णय लिया। सरकार के अधिवक्ताओं ने अपने मामलों में अदालत में पैरवी की।