.आत्मनिर्भर बन चुकी दीदियां अन्य दीदियों के लिए ऊर्जा स्रोत हैं
.ग्रामीणों को मान-सम्मान के साथ दे रहे उनका हक-अधिकार
रांची। राज्य की मजबूती के लिए जरूरी है ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मजबूत होना । ग्रामीण अर्थव्यवस्था तभी मजबूत बनेगी, जब ग्रामीण अपने पैरों पर खड़ा होंगे । इसी मकसद से सरकार योजनाओं को बनाकर धरातल पर उतार रही है। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने आज दि नज इंस्टिट्यूट की ओर से आयोजित “झारखंड की दीदियों का स्नातक समारोह” को संबोधित करते हुए ये बातें कही। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर लोहरदगा, लातेहार और गुमला जिले की आजीविका से आत्मनिर्भर और सक्षम बनी 400 दीदियों को सम्मानित कर और आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। मुख्यमंत्री ने अति गरीब परिवारों की इन दीदियों को स्वावलंबी बनाने की दिशा में अहम भूमिका निभाने वाले नज़ इंस्टिट्यूट के प्रयासों और कार्यों की सराहना की।
ये दीदियां अन्य दीदियों के लिए ऊर्जा स्रोत है
मुख्यमंत्री ने कहा कि ये दीदियां विपरीत परिस्थितियों और चुनौतियों का सामना करते हुए जिस तरह विभिन्न आजीविका से जुड़कर ना सिर्फ खुद स्वावलंबी बनी है बल्कि अपने परिवार का भरण पोषण बेहतरीन तरीके से कर रही हैं, वह अन्य दीदियों के लिए ऊर्जा स्रोत हैं। मुझे उम्मीद है कि आने वाले दिनों में राज्य की सभी दीदियां और भी मजबूत होंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि खनिज समेत तमाम संसाधनों की प्रचुरता के बाद भी झारखंड की गिनती पिछड़े राज्यों में होती है। यहां के आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग की एक बड़ी आबादी गरीबी को झेल रही है। इन लोगों को सामाजिक ताना-बाना कुछ ऐसा है कि यहां के खनिज संसाधनों का लाभ इन्हें नहीं मिल रहा है । यहां के खनिज संसाधन का इस्तेमाल बड़े उद्योग उठा रहे हैं, लेकिन राज्य को इसका लाभ नहीं मिल रहा है । हमारी सरकार इस मुद्दे पर गंभीरता के साथ कार्य कर रही है ताकि यहां के संसाधनों का इस्तेमाल यहां के लोगों के उत्थान और राज्य के विकास में किया जा सके।
नज इंस्टिट्यूट की ओर से बताया गया कि वे राज्य में गरीबी उन्मूलन के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। पिछले 3 वर्षों के दौरान लोहरदगा, गुमला और लातेहार जिला में अति गरीब परिवार की दीदियों को स्वयं सहायता समूह के जरिए आजीविका से जोड़ा गया है ।इसमें केंद्र सरकार, राज्य सरकार, एनआरएलएम और जेएसएलपीएस की ओर से सहयोग दिया जा रहा है। इसी का परिणाम है कि ये दीदियां आज आत्मनिर्भर बन चुकी है। ये दीदियां आज घर -परिवार की आमदनी में बड़ा योगदान कर रही हैं। बचत के प्रति भी इनका रुझान काफी सकारात्मक है। अब गोड्डा, पलामू और पूर्वी सिंहभूम जिले में “एंड अल्ट्रा पॉवर्टी प्रोग्राम” चलाया जा रहा है ।इसके जरिये 4 हज़ार अति गरीब महिलाओं को आजीविका से जोड़ने का काम हो रहा है।