बेगूसराय। जीवनदायिनी गंगा लोगों के आस्था और देश के प्रमुख जगहों पर भ्रमण एवं पर्यटन का केंद्र है। लोग नाव के सहारे गंगा की सैर करते हैं। लेकिन नरेन्द्र मोदी सरकार के प्रयास से गंगा में सैर करने के साथ-साथ लोगों की पुस्तक पढ़ने की खत्म हो रही प्रवृत्ति को भी जगाये जाने की पहल किया गया है। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय एवं जल शक्ति मंत्रालय ने राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (नेशनल बुक ट्रस्ट) और नमामि गंगे के सहयोग से गंगा नदी में अब सचल पुस्तक प्रदर्शनी चलाई जा रही है। इसके पहली कड़ी में पटना के दीघा घाट और उत्तर प्रदेश के बनारस में इसकी शुरुआत की गई है। जहां विभाग द्वारा नाव पर पुस्तकें सजाई गई है।
यहां चलने वाले वोट पर भी पुस्तकों की प्रदर्शनी लगाई गई है। गंगा में जब लोग सैर करते रहेंगे तो चलते-चलते पुस्तक भी पढ़ सकेंगे। यहां उन्हें गंगा अवतरण से लेकर गंगा के स्वच्छता, पर्यावरण की स्वच्छता, देश की व्यवस्था पर पुस्तकें पढ़ने को मिल रही है। चलते-चलते लोग राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को पढ़ रहे हैं, तो साथ में मिल रहे हैं फणीश्वर नाथ रेणु, प्रेमचंद्र, हरिवंश राय बच्चन और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला भी।
नाव पर गंगा किनारे के शहरों में लिखी गई पुस्तक में रखी गई है। देश-दुनिया के इतिहास, भूगोल, अर्थव्यवस्था और नागरिक-सामाजिक जीवन की किताबें भी मिल रही है। स्कूली बच्चे कहानियों की किताब पढ़ पा रहे हैं तो गढवाल और बिहार के इतिहास ही नहीं, उपन्यास, कहानी, कविता की किताबें भी मिल रही है।इस गंगा सचल पुस्तक प्रदर्शनी के मूल में प्रधानमंत्री का मंत्र है जिसमें उन्होंने कहा है कि ”पढ़ने से बड़ा कोई आनंद और ज्ञान से बड़ी कोई ताकत नहीं।”
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के सचल पुस्तक प्रदर्शनी प्रभारी आकाश कुमार ने बेगूसराय में बताया कि पुस्तक पढ़ने के प्रति लोगों को जागृत करने के लिए गंगा सचल पुस्तक प्रदर्शनी की शुरुआत की गई है। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा नमामि गंगे के साथ मिलकर देशभर में गंगा के माध्यम से लोगों को जागरूक करने के लिए कई अभियान चलाए जा रहे हैं।
इसी कड़ी में सचल पुस्तक प्रदर्शनी की शुरुआत की गई है। फ्लोटिंग वोट पर लोग चलते-चलते पुस्तक पढ़कर जल संरक्षण, जल के समुचित उपयोग, जल की समस्या और निदान की जानकारी ले सकेंगे। प्रथम चरण में दो जगहों पर इसकी शुरुआत की गई है। धीरे-धीरे गंगा में वोट सैर होने वाले सभी जगह पर यह शुरुआत की जाएगी। बनारस और दीघा घाट शुरू की गई गंगा सचल पुस्तक प्रदर्शनी में लोग नाव पर चलते-चलते पुस्तक पढ़ सकते हैं, देख सकते हैं। ताकि गंगा की स्वच्छता और पर्यावरण के लिए वे सजग रहें।