पटना। राज्य सरकार की ओर से बिहार में संचालित सभी र्सावजनिक मंदिर-मठ और ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन कराने की अंतिम तिथि 15 जुलाई तक निर्धारित की गई है। निर्धारिततिथि तक रजिस्ट्रेशन करवाया जाना अनिवार्य किया गया है। मालूम हो कि बिहार में 8 हजार मंदिर-मठ और ट्रस्ट है। इसमें साढ़े पांच हजार का बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद से पंजीकृत है। अभी दो हजार 512 मंदिर मठ का पंजीकरण नहीं हो सका है। इनके पास 4321.64 एकड़ जमीन है।
राज्य के सभी जिला प्रशासन को इसका कड़ाई से पालन कराने का निर्देश दिया गया है। साथ ही चेतावनी भी दी गयी है कि अगर तय समय तक पंजीकरण नहीं कराया जाएगा तो सरकार को विवश होकर अन्य विकल्प अपनायेंगी। राज्य के विधि मंत्री प्रमोद कुमार ने कहा कि राज्य में चल रहे मंदिरों, मठों, न्यासों और धर्मशालाओं को अपना पंजीकरण कराना होगा। मंदिर-मठों की जमीन के रजिस्ट्रेशन भगवान के नाम पर होगा, जिसे जिला प्रशासन को मंदिरों, मठों, न्यासों और धर्मशालाओं की संपत्तियों का ब्योरा दो हफ्ते के भीतर धार्मिक न्यास परिषद की वेबसाइट पर अपलोड करेगा।
मंत्री ने बताया कि बिहार देश का पहला राज्य है, जहां यह कवायद हो रही है। एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में मंदिरों और मठों के पास 18 हजार 456.95 एकड़ जमीन है। दरअसल, पंजीयन के बाद मठ-मन्दिरों को वार्षिक आय का चार प्रतिशत कर के रूप में देना होता है। एक बार पंजीयन हो जाने के बाद उनकी सम्पत्तियों का पूरा ब्यौरा उपलब्ध होने से उसे सुरक्षित रखने में सहूलियत होगी।परिषद की वेबसाइट तैयार कर ली गई है जिसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उद्घाटन करना है।
मंत्री ने बताया कि सबसे अधिक मंदिर और मठ वैशाली जिला में हैं, जिसकी संख्या 438 है। राज्य में अब तक 2499 मंदिर और मठ रजिस्टर्ड हो चुके हैं। इनके पास 18456.95 एकड़ जमीन है। इस जमीन की जल्द घेराबंदी होगी।
उल्लेखनीय है कि राज्य के मठों और मन्दिरों की भूमि पर अवैध कब्जा, अनधिकृत रूप से दावा और निजी लोगों की ओर से बेचने के कई मामले सामने आते रहते हैं। यह मामला आगे जाकर कानून के पचड़े में चला जाता है और विवाद लम्बे समय तक चलता है। राज्य सरकार इन मंदिर और मठों के विवाद को व्यवस्थित करना चाहती है। इसके लिए यह जानना जरूरी है कि किस मंदिर या मठ के पास कितनी जमीन है। इसलिए यह तारीख अल्टीमेंटम के तौर पर दी गयी है।