पटना। जातीय जनगणना को लेकर मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने सर्वदलीय बैठक की तारीख तय कर दी है। बैठक की संभावित तिथि 27 मई बताई गई है। इसको लेकर सभी राजनीतिक दल के प्रमुखो को फोन से मैसेज भेजने का भी सिलसिला जारी हो गया है। मालूम हो कि पिछले दिनो मुख्यमंत्री और बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच बंद कमरे में लंबी वार्ता चली थी। बैठक को लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है। पिछले कई महीनों से जातीय जनगणना के मुद्दे पर तेजस्वी यादव नीतीश कुमार से लगातार सर्वदलीय बैठक की मांग कर रहे थे।
जिन नेताओं को अबतक फोन किये गये है,उनमें बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी शामिल हैं। पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने बताया कि आज सुबह ही उन्हें इस संबंध में फोन आया है। जातिय जनगणना की 27 तारीख को संभावित बैठक होनी है। मांझी ने कहा कि कुछ दिन पहले ही सीएम नीतीश ने कहा था कि बहुत जल्द सर्वदलीय बैठक बुलाई जायेगी। बिहार में जातिगत जनगणना की रुपरेखा कैसी होनी चाहिए, बैठक में सभी पार्टियों के नेताओं के बीच इस पर चर्चा की जाएगी। जिसके आधार पर राज्य सरकार जनगणना का काम कराएगी। केंद्र सरकार के इनकार के बाद बिहार सरकार पहले ही घोषणा कर चुकी है कि जातिगत जनगणना अपने स्तर से करायेंगे।
उल्लेखनीय है कि तकरीबन 8 महीने गुजरने के बाद भी जातिगत जनगणना को लेकर कोई बैठक बिहार में नहीं हुई। इस पर तेजस्वी यादव नीतीश कुमार के ऊपर सीधे तौर पर लगातार जातिगत जनगणना नहीं कराने का आरोप लगा रहे थे। इसे देखते हुए तेजस्वी ने नया तरीका अपनाया और तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को अल्टीमेटम देते हुए पटना से दिल्ली पैदल मार्च करने की बात कही थी। इसके दूसरे दिन ही मुख्यमंत्री तेजस्वी को मुख्यमंत्री आवास बुलाकर जातीय जनगणना के लिए सर्वदलिय बैठक बुलाने का भरोसा दिलाया था।
इससे पूर्व बिहार में जातीय जनगणना कराने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में विपक्ष सहित एक प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली में प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी लेकिन केंद्र सरकार ने साफ-साफ जातिगत जनगणना कराने से इंकार कर दिया, जिसके बाद नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा में कहा कि वह राज्य सरकार के तरफ से कोशिश करेंगे कि जातिगत जनगणना कराई जाये।