रांची। पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने सोमवार को एक बार फिर सीएम हेमंत सोरेन पर हमला बोल कर गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपने प्रभाव का बेजा इस्तेमाल कर अपनी पत्नी कल्पना की कंपनी सोहराय लाइफ प्राईवेट लिमिटेड को बिजुबाड़ा, चान्हो ब्लॉक स्थित बरहे औद्योगिक क्षेत्र में 11 एकड़ भूमि तथा अपने विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा और प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद के लिए खदान की लीज आवंटित करवाया है। रघुवर दास ने प्रेसवार्ता में कहा कि मुख्यमंत्री स्वयं उद्योग विभाग के मंत्री है। इसलिए पत्नी की कंपनी को औद्योगिक भूमि के आवंटन के संबंध में उन्हें सफाई देनी होगी। सीएम का यह आचरण भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध है।
मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को औद्योगिक क्षेत्र में रियायती दर पर भूखंड मिलेंगे। इस घोषणा का लाभ उन्होंने अपने परिवार के लिए उठाया। उन्हें राज्य के गरीब और बेरोजगार आदिवासियों की चिंता नहीं है। चिंता है तो केवल अपने परिवार की। मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा और प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद के लिए भी मुख्यमंत्री ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर खदान की लीज ली है। उन्होंने कहा कि अभिषेक प्रसाद को शिव शक्ति इंटरप्राइजेज के नाम पर साहिबगंज के पाकरिया ग्राम में 11.70 एकड़ भूमि पर आठ अप्रैल 2021 को खदान की लीज दस वर्ष के लिए दी गयी है। सरकारी कागजातों के अनुसार उस पर 90 लाख रुपये का निवेश भी दिखाया गया है। इसी तरह मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा को महाकाल स्टोन के नाम से साहेबगंज जिले के गिला मारी मौजा में खदान आवंटित की गई है। राज्य सरकार के विभिन्न विभागों ने आनन-फानन में सारी स्वीक-ति भी प्रदान की है। रघुवर दास ने कहा कि मुख्यमंत्री अभिषेक प्रसाद और पंकज मिश्रा को तत्काल अपने पद से हटाए। भाजपा इस मामले को लेकर राज्यपाल के पास जायेगी। उन्होंने कहा कि कानून के प्रावधान के तहत मुख्यमंत्री स्वयं या उनके परिवार का कोई भी सदस्य सरकारी ठेका पट्टा, लीज नहीं ले सकता। यहां भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध है।
उन्होंने कहा झारखंड में अबुआ राज के नाम पर एक परिवार का शासन चल रहा है। इसका नुकसान राज्य की जनता को उठाना पड़ रहा है, लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान आदिवासी भाई बहनों को हो रहा है। सरना भाई-बहनों का हक छिना जा रहा है। उनकी सरकार ने अनुसूचित जाति व जनजातियों के प्रमाण पत्र में धर्म का कॉलम जोड़ा था ताकि सरना आदिवासियों को लाभ मिले। मिशनरी के दबाव में इस वर्ष 24 फरवरी को कैबिनेट में हेमंत सरकार ने गुपचुप तरीके से इससे धर्म का कॉलम समाप्त कर दिया। इसका सीधा नुकसान सरना भाई-बहनों को होगा। नौकरी में उनके स्थान पर धर्मांतरित आदिवासियों को इसका लाभ होगा। सरना भाई-बहनों के साथ साजिश के तहत उनका हक मारा जा रहा है। सरना मुख्यमंत्री के रहते ऐसा होना बहुत दुखद है। सत्ता के लालच में हेमंत ने सरना भाई-बहनों के पेट पर लात मारने का काम किया है। राज्य में लव जिहाद और धर्मांतरण के द्वारा सरना समाज को टारगेट किया जा रहा है। यही स्थिति रही तो, झारखंड का सरना समाज अल्पसंख्यक हो जायेगा। धर्मांतरित आदिवासी सरना आदिवासियों का हक मारकर दोहरा लाभ ले रहे हैं। वे अल्पसंख्यक के साथ साथ आदिवासी का लाभ भी ले रहे हैं। नौकरियों में सरना आदिवासियों के स्थान पर धर्मांतरित आदिवासी ज्यादा लाभ ले रहे हैं।