पश्चिम चंपारण। बगहा स्थित पंडित उमाशंकर तिवारी महिला महाविद्यालय में 25 करोड़ों रुपए के गबन मामले में प्राचार्य, कुलपति, कुलसचिव समेत 11 लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। व्यवहार न्यायालय के सीजेएम के आदेश के आलोक में प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई की गई है। इसमें प्राचार्य डॉ अरविंद कुमार तिवारी, राम निरंजन पांडेय, शासी निकाय अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ राजीव कुमार पांडेय, विश्वविद्यालय प्रतिनिधि प्रोफेसर चंद्र भूषण मिश्रा, वर्सर प्रोफेसर श्यामसुंदर दुबे ,शिक्षक प्रतिनिधि उमेश यादव, लेखापाल नर्मदेश्वर उपाध्याय ,प्रधान लिपिक डॉक्टर हनुमान प्रसाद पांडेय, कुलपति बीआए बिहार विश्वविद्यालय डॉ रामकृष्ण ठाकुर, कुलसचिव बिहार विश्वविद्यालय डॉक्टर राम रनारायण मंडल, तत्कालीन प्रभारी कुलपति को आरोपी बनाया गया है।
जानकारी अनुसार प्रोफेसर अरविंद नाथ तिवारी विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग अपने एवं अन्य शिक्षक शाक्षकेत्तर कर्मचारियों के पारिश्रमिक नहीं मिलने एवं अभियुक्तों द्वारा बंदरबांट करने, विश्वविद्यालय प्रशासन के पास न्याय के लिए गुहार लगाने और विश्वविद्यालय प्रशासन से न्याय नहीं मिलने पर उक्त न्यायालय में परिवाद दर्ज कराया था। परिवाद पत्र के बिंदुओं पर न्यायालय ने 4 महीना तक समीक्षा के बाद प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश बगहा थाना अध्यक्ष को दिया है।
उल्लेखनीय है कि बिहार सरकार द्वारा कालेज को सहायक अनुदान की राशि लगभग 20 करोड़ रूपया की राशि शिक्षक शिक्षकेतर कर्मचारियों को वेतन मद में वितरण करने लिए सत्र 2008 से लेकर 2013 तक और यूजीसी द्वारा कॉलेज के विकास मद में विभिन्न भवनों के निर्माण कराने के लिए लगभग 5 करोड़ की राशि मुहैया कराया, परंतु अभियुक्तों द्वारा उक्त राशि का बंदरबांट करते हुए शिक्षक शिक्षकेतर कर्मचारियों को प्रताड़ित और निष्कासन करता रहा। प्रचार्य और प्रबन्धन के भ्रष्टाचार में लिप्त होने की जांच जब तत्कालिन बगहा एसडीएम अनिमेष पराशर, एसडीएम विशाल राज और तत्कालीन जिलाधिकारी पश्चिम चम्पारण निलेश चन्द्र देवरे ने किया, तो भ्रष्टाचार मे पाये जाने पर प्राचार्य और प्रबन्धन पर कार्रवाई के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन और राज्यपाल को पत्रक लिखा।पदाधिकारियों के रिपोर्ट पर महामहिम और मुख्यमंत्री के तरफ से अनेको आदेश विश्वविद्यालय के कुलपति और सचिव को अनेकों आदेश जारी किये गये, परन्तु कुलपति और कुलसचिव द्वारा कारवाई शिथिल रखकर प्राचार्य, शासी निकाय के अध्यक्ष और सचिव को बचाते रहें ।