बेगूसराय।
सरकार की ओर से शराब माफियाओं सहित शराब कारोबार से जुड़े तथा शराब सेवन करने वालों की पहचान के लिए शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति करने के आदेश से काफी आक्रोश है। शिक्षक संगठनों में आदेश पर सवाल उठाते हुए शिक्षा का अधिकार अधिनियम एवं सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का अवहेलना तथा छात्रों के साथ क्रुर मजाक बताया है। संगठनों ने सरकार से पूछा है कि क्या पुलिस तंत्र और खुफिया विभाग फेल हो गई है, जो इस प्रकार के आदेश निर्गत करने की जरूरत आन पड़ी।
टीईटी- एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोप गुट ने शनिवार को समाहरणालय के समक्ष आदेश की प्रति जलाकर विरोध किया। संघ के जिला अध्यक्ष मुकेश कुमार मिश्र ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का आदेश कहता है कि शिक्षकों को जनगणना, आपदा एवं निर्वाचन के अतिरिक्त अन्य कार्य में नहीं लगाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि आदेश में यह भी कहा गया है कि शराब के धंधे की जानकारी देने वालों का नाम गुप्त रखा जाएगा। लेकिन बिहार के सत्येंद्र दुबे जैसे ईमानदार अभियंता का नाम जब पीएम कार्यालय से लीक हो जाता है , उनकी हत्या तक हो जाती है तो शिक्षकों का नाम कैसे गुप्त रखा जा सकता है। यह शिक्षकों का शासकीय हत्या करने की साजिश तथा सरकारी शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करने की कोशिश है।
जिला महामंत्री ज्ञान प्रकाश ने कहा कि सरकार शिक्षकों के जान जोखिम में डालना चाहती है, जबकि उनकी सुविधा के संदर्भ में पल्ला झाड़ लेती है। वरीय पदाधिकारियों को पता होना चाहिए कि शिक्षक का काम शिक्षण कार्य है, चौकीदारी या अन्य कार्य नहीं।