रांची। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने रविवार को झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की जिनोम सीक्वेंसिंग मशीन देने की मांग पर सकारात्मक पहल करने का आश्वासन दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री रविवार को राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ कोविड-19 को लेकर बात कर रहे थे।
बन्ना गुप्ता ने केंद्रीय मंत्री से जिनोम सीक्वेंसिंग मशीन उपलब्ध कराने का आग्रह करते हुए कहा कि जब रिम्स को रिसर्च सेंटर की उपाधि उपाधि मिल गया है तो यहां जीनोम सिक्वेन्सी मशीन जरूर मिलना चाहिए। इसके साथ ही सहिया बहनों का मानदेय दो हजार से ₹7000 की मांग की। इस पर केंद्रीय मंत्री ने जल्द प्रक्रिया के तहत झारखंड को मशीन उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। इसके साथ ही सहिया बहनों के मानदेय की मांग को भी जायज ठहराया।
गुप्ता ने मांग की कि देश में सभी प्राइवेट अस्पताल के लिए कोरोना के इलाज के लिए एक टैरिफ का निर्धारण हो जिसमें एडमिशन से लेकर डिस्चार्ज तक की टैरिफ घोषित की जाए ताकि इलाज के नाम पर जो लूट हो रही हैं उसे रोका जाए। उन्होंने मांग की कि मृत होने के बाद भी जो अस्पताल बकाए रकम के लिए शव को रोक देते हैं। इसके लिए भी एक कठोर कानून बने ताकि कम से कम मृत्यु के बाद परिजनों को अंत्येष्टि करने के लिए परेशान न होना पड़े और ससम्मान शव की अंत्येष्टि हो सके। गुप्ता ने केंद्र और राज्य की योजनाओं में अंशदान जो अभी 60:40 हैं उसे 90:10 करने का अनुरोध किया , ताकि राज्य सरकार अपनी व्यवस्था को मजबूती से सुदृढ़ कर सके।
गुप्ता ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को बताया कि राज्य सरकार मांग करती हैं कि 15 से 18 साल उम्र वाले बच्चों की उम्र सीमा न्यूनतम घटाकर 12 साल से 18 साल करें ताकि सभी स्कूल जाने वाले बच्चे इससे लाभान्वित हो सके। स्कूलों कॉलेजों में इसका प्रभाव कम हो सके। गुप्ता ने कहा कि जब को-वैक्सीन बच्चों में लगाने की अनुमति आईसीएमआर और भारत ड्रग कंट्रोलर ने दी है, तो बच्चों के वैक्सीनेशन की उम्र सीमा 15 से 18वर्ष में संशोधित करते हुए इसे 12 से 18 वर्ष किया जाए, ताकि अधिक से अधिक बच्चों को इसका फायदा मिल सके।