बेगूसराय। लोक आस्था का महापर्व चार दिवसीय छठ का आगाज नहाय खाय के साथ सोमवार को हो गया है। बेगूसराय की गलियों में छठ के लेाक गीत गुंज रही है। उंच नीच, गरीब अमीर व भेदभाव मिटकर समरस्ता का अहसास होने लगा है। परदेशी अपने गांवो में बड़ी संख्या में लौट आए है। यूं तो महापर्व पर विभिन्न तरीके के प्रसाद बनाने की तैयारी चल रही है, लेकिन आज भी ठेकुआ का प्रसाद कॉमन है। हर तबके के लोग ठेकुआ बनाकर सूर्यदेव और छठी मइया को चढ़ाया जाता है। इसको लेकर ठेकुआ बनाने के लिए गेंहू सुखाने में महिलाएं जुटी है। इन दिनो ठेकुआ की डिजाइन भले ही अलग अलग हो गए है। लेकिन इसका स्वाद आज भी वहीं है जो दशको पूर्व था।
बिहार में राज्यपाल रहने के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ठेकुआ इतना भा गया था कि हाल में यहां आने पर उन्होंने कहा था कि राज्य की संस्कृति की खुशबू दुनिया में फैल गई थी। बेगूसराय का छठ बर्लिन तक पहुंच गया है। पहले ठेकुआ प्रति कालीन पूजा के बाद गांव गांव में रिश्तेदारो तक पहुंचाए जाते थे। अब कुरियर के माध्यम से रिश्तेदारो तक विदेशो में भी भेजे जाते है। इससे फेमस बिहारी व्यंजन ठेकुआ विदेशो में भी चर्चित हो गया है। जब ठेकुआ बनाई जाती है तो इसमें न सिर्फ गुड़ चीनी बल्कि महिलाओं के सुमधुर गीत की मिठास भी घुल जाती है। यह ऐसा व्यंजन है कि हप्तो तक खराब नहीं होता है। इसके स्वाद में कोई अंतर नहीं होता है। इसकी खुशबू न केवल देश के कोने कोने तक वरन बर्लिन, मलेशिया, ब्रिटेन और अमेरिका समेत कई देशो में फैल चूकी है।