नदी से दिनदहाड़े प्रतिदिन हो रहा है सैंकड़ो ट्रैक्टर बालू का उठाव, 100 से अधिक वैध व अवैध बालू घाट और भंडारण स्थल हैं संचालित
हंटरगंज प्रशासन व पुलिस की भूमिका संदिग्ध
चन्द्रेश शर्मा
चतरा।
जिले की लाइफ लाइन व मोक्षदायिनी निरंजना नदी से बालु का अवैध उठाव बदस्तुर जारी है। बालू माफिया मोक्षदायिनी नदी का सीना छलनी करते हुए उसका अस्तित्व मिटाने पर तुले हुए है। सबसे आश्चर्यजनक पहलू यह है कि सब कुछ जानकर भी प्रखंड टास्क फोर्स चुप्पी साधे है। जब इनसे अवैध बालू उत्खनन पर सवाल किए जाते हैं तो कन्नी कटाते नजर आते हैं। बताते चलें कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के नियमों के मुताबिक मानसून में 15 अक्टूबर तक नदी घाटों से बालू की निकासी पर रोक लगाई गई है। इसके बावजूद बालू चोर खुलेआम दिनदहाड़े बालू की अवैध निकासी में लगे हैं। कहने को तो क्षेत्र में एक दर्जन से ज्यादा भंडारण स्थल है, पर इनमें डुमरीखुर्द, गढ़केदली औऱ गोसाईडीह भंडारण स्थल का नाम सबसे ऊपर है। इन भंडारण स्थलों में विभिन्न घाटों से सैंकड़ो टन अवैध बालू प्रतिदिन डंप किया जा रहा है, जो कभी भी खुली आंखों से देखा जा सकता है।
जानकारी अनुसार इन भंडारण स्थल पर बड़ी संख्या में गुंडे पालकर रखे गए हैं,जो इस अवैध कार्य का विरोध करने वाले ग्रामीणों व अन्य पर हमला करने से भी गुरेज नहीं करते। ज्ञात हो कि हंटरगंज प्रखंड में सरकार द्वारा चलाई जा रही झारखंड राज्य खनिज विकास निगम लिमिटेड (जेएसमडीसी) बालू घाटों व भंडारण स्थलों की संख्या तीन है। इन बालू घाटों के अलावे 13 अन्य लाइसेंसी घाट है। राजस्व में हुई गड़बड़ी समेत अन्य कई गंभीर आरोपों के कारण खनन विभाग द्वारा 2016 में भंडारण स्थल को रद्द कर दिया गया था। इस कारण प्रत्येक भंडारण स्थल पर 10 से 20 हाइवा-ट्रक बालू बिक्री से वंचित रह गए थे। खनन विभाग के कार्रवाई के बाद अनुज्ञप्ति धारक न्यायालय की शरण में चले गए थे। बाद में न्यायालय का फैसला अनुज्ञप्ति धारकों के पक्ष में आ गया था। अब इन अनुज्ञप्ति धारकों ने न्यायालय के आदेश के आलोक में बचे हुए बालू की बिक्री के लिए खनन विभाग के पास चालान निर्गत करने का आवेदन प्रस्तुत किया है। ध्यान देने की आवश्यकता है कि इन अनुज्ञप्ति धारकों को पूर्व के जमा बालू पर ही चालान दिया जाना है। अब एक बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि जब पूर्व के जमा बालू की बिक्री के लिए चालान निर्गत किया जाना है तो किन परिस्थितियों में बालू भंडारण के अनुज्ञप्ति धारक एनजीटी की मनाही के बावजूद नदियों से बालू का अवैध भंडारण कर रहे हैं। निश्चित ही इस बड़े घोटाले में कई बड़े कद्दावर लोगों के शामिल होने की बू आ रही है। सूत्रों की माने तो इस सिंडिकेट में बिहार के बड़े बालू तस्करों या कह लीजिए चोरों की भूमिका है। इस प्रकरण में सबसे महत्वपूर्ण पहलू है कि शाम होते ही भंडारण स्थल पर सैंकड़ो की संख्या में उत्तरप्रदेश व बिहार के ट्रकों का मेला लगना शुरू हो जाता है जो बे रोक टोक देर रात तक जारी रहता है। जानकार बताते हैं कि तस्कर अवैध बालू को फर्जी चालान के सहारे बाहर निकालने में सफल हो रहे हैं। इस पूरे प्रकरण में एक ओर जहां अंचल प्रशासन की चुप्पी रहस्यमय है,वहीं स्थानीय पुलिस प्रशासन की भूमिका भी कम संदिग्ध नहीं है। सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि आखिर पुलिस की पीसीआर औऱ पेट्रोलिंग वाहन की भूमिका क्या है। बहरहाल यह जिला प्रशासन को तय करना है कि क्षेत्र में प्रशासन का शासन है या चोरों का।