रांची। पोषण सखियों की सेवा समाप्त किए जाने के खिलाफ पोषण सखी संघ की सचिव प्रमिला कुमारी ने गुरूवार को सरकार के आदेश को चुनौती देते हुए झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। मालूम हो कि सरकार ने राज्य के छह जिलो के 10388 पोषण सखियों को बिना किसी कारण और पूर्व नोटिस के कार्य मुक्त कर दिया है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राधा कृष्ण गुप्ता ने बताया कि बिना कारण और पूर्व नोटिस के कार्य मुक्त करना न्यायोचित है। इसलिए सरकार के आदेश को निरस्त किया जाना चाहिए। मामलू हो कि झारखंड में कुपोषण से निपटने के लिए केंद्र प्रायोजित समेकित बाल विकास योजना के तहत बहाल 10388 पोषण सखियों की सेवा समाप्त करने को लेकर राज्य सरकार के महिला एवं बाल विका विभाग ने 1 अप्रैल 2022 से इनकी सेवा समाप्त करने का आदेश जारी किया है। इनकी सेवा स्थायी नहीं थी और इनकी बहाली मानदेय पर की गई थी।
केंद्र के निर्देश पर राज्य के कोडरमा सहित धनबाद, गिरिडीह, दुमका, गोड्डा और चतरा में अतिरिक्त आंगनबाडी सेविका सह पोषण परामर्शी के रूप में इन पोषण सखियों की नियुक्ति वर्ष 2015 में की गई थी। इन्हें प्रतिमाह तीन हजार रूपए मानदेय दिए जा रहे थे। लेकिन 2017 से केंद्र ने इस मद में मानदेय राशि देनी बंद कर दी। हलांकि झारखंड सरकार ने 31 मार्च 2022 तक इनका बकाया मानदेय का भुगतान करने का निर्णय लिया है।