रामगढ़। एडीजे तृतीय संजय प्रताप की कोर्ट ने मंगलवार को हत्या के दो आरोपियों को आजीवन कारावास तथा 30 हजार रूपए के जुर्माने की सजा सुनाई है। सजा पाने वाले आपस में देवर भाभी है। अवैध संबंध में भाभी शाम्या परवीन ने देवर तुफैल अंसारी के साथ मिलकर रस्सी से गला घोटकर पति शौकत अंसारी की हत्या कर दी थी।
अदालत ने भादवि की धारा 302 और 34 के तहत आजीवन कारावास, 20 हजार रुपये जुर्माना जुर्माने की राशि नहीं देने पर एक वर्ष की अतिरिक्त सजा तथा भादवि की धारा 201 व 34 आईपीसी के तहत सात वर्ष सजा व 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। जुर्माने की राशि अदा नहीं करने पर छह माह के अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई है। न्यायालय ने दोनों गत 27 मई को दोषी करार दिया था। दोनों सजा साथ-साथ चलेगी।
बताया जाता है कि इस पूरे मामले में दम्पति के दोनों बच्चे ही चश्मदीद गवाह थे। दोनों ने न्यायालय के समक्ष बयान दर्ज कराया कि उनकी आंखों के सामने मां शम्मा परवीन और चाचा तुफैल अंसारी ने रस्सी से उसके पिता शौकत अंसारी की गला घोंट कर हत्या कर दी थी। इस पूरे मामले में अभियोजन की ओर से कुल 13 गवाहों की गवाही न्यायालय में प्रस्तुत की गई।
जानकारी के अनुसार 18 अक्टूबर, 2018 की रात शमा और तूफेल ने मिलकर शौकत अंसारी का गला घोंट दिया। इसके बाद इस मौत को आत्महत्या की शक्ल देने की कोशिश भी की। इस मामले में मृतक के पिता नसीम अंसारी ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। जांच के दौरान यह पता चला कि शमा परवीन का देवर तूफेल अंसारी के साथ नाजायज संबंध थे।
अपर लोक अभियोजक एस के शुक्ला ने साक्ष्य के रूप में हत्या में इस्तेमाल नायलान की रस्सी भी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया। न्यायालय में पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक डा. लिसु चौरे, चार अनुसंधानकर्ता इनमें प्रमुख अनुसंधानकर्ता एएसआई शिवशंकर जमादार ने न्यायालय के समक्ष बयान दर्ज कराया। बचाव पक्ष की ओर से एक गवाह मो. रिजवान की गवाही हुई। रिजवान साक्ष्य के प्रेक्षण में टूट गया। मृतक की एक डायरी भी न्यायालय में प्रस्तुत की गई। इस डायरी में मरने से पूर्व उसने उल्लेख किया था कि उसे उसकी पत्नी व भाई से जान का खतरा है।