नई दिल्ली(
मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा की बुधवार को हुई अंतिम बैठक में श्रम सुधार से जुड़े तीन विधेयकों को मंजूरी दी गई। राज्यसभा से पारित किए गए तीनों विधायक लोकसभा से मंगलवार को ही पारित कर दिए गए थें। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद विघेयक को कानून का दर्जा मिल जाएगी। विपक्षी दलों की गैरमौजूदगी में श्रमिकों के कल्याण एवं उनके अधिकारों को मजबूत करने वाली सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020, औद्योगिक संबंध संहिता 2020 और उपजीविकाजन्य सुरक्षा स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता विधेयक 2020 को ध्वनि मत से पारित किया गया।
तीनों विधेयकों पर राज्यसभा में चर्चा का जवाब देते हुए श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि श्रम कानूनों को चार संहिताओं में समाहित करने की सिफारिश 2003 -04 में संसदीय समिति ने की थी। लेकिन 2014 तक इस पर कोई काम नहीं हो सका। उन्होंने श्रम कानून में सुधारों से संबंधित पारित विधेयकों को नए भारत की जरूरतों के अनुरूप बताया। उन्होंने कहा कि श्रमिकों से हड़ताल का अधिकार वापस नहीं लिया गया है। 14 दिनों के नोटिस व्यवस्था विवाद सुलझाने के लिए की गई है। उन्होंने सदन को बताया कि संस्थानों के लिए 300 कर्मचारियों की सीमा तय करने से रोजगार के अवसर में वृद्धि होगी। वही पारित विधेयक में प्रवासी मजदूरों की परिभाषा को पहले से कहीं ज्यादा व्यापक बनाया गया है। गंगवार ने कहा कि विधेयकों से राज्य के अधिकारों का कोई हनन नहीं होगा। राज्य अपनी परिस्थितियों के अनुसार इन कानूनों में बदलाव ला सकेंगे।