पटना।
कोरोना महामारी के बीच सुबे में इस बार दुर्गा पूजा का आयोजन निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत किए जाने को लेकर पूजा समितियों की ओर से तैयारी जारी है। कोरोना संक्रमण को लेकर जारी किए गए प्रोटोकॉल के मद्देनजर इस बार पूजा समितियों द्वारा साधारण रूप से प्रतिमाओं का निर्माण कर पूजा की तैयारी की जा रही है। इस बार पूजा पंडालों में विशाल पंडाल व भव्य सजावट का नजारा नहीं देखा जाएगा। पूजा के दौरान महिलाओं को खोईछा घर से भरकर लाने को कहा गया है। नवरात्रा को लेकर हजारों घरों में कलश स्थापना की तैयारी की जा रही है।
नवरात्रा की शुरुआत 17 अक्टूबर को कलश स्थापना के साथ होगी। इस साल भगवती दुर्गा का आगमन घोड़े पर हो रहा है जिसका फल छात्रभंग योग बन रहा है। वही माता की विदाई भैंस पर होगी जो शोक संताप देने वाला है। कलश स्थापना के पहले दिन 17 अक्टूबर शनिवार को प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना होगी, 18 अक्टूबर को द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना होगी, 19 अक्टूबर को तृतीय स्वरूप चंद्रघंटा की पूजा होगी, 20 अप्रैल को चतुर्थ स्वरूप कूष्मांडा की पूजा होगी, 21 अप्रैल को स्वरूप स्कंदमाता की पूजा होगी, 22 अक्टूबर को माता के छठे रूप कात्यायनी की पूजा के साथ बिल्व आमंत्रण दिया जाएगा, 23 अक्टूबर को सातवें स्वरूप कालरात्रि की पूजा-अर्चना तथा रात में निशा पूजा होगी, 24 अप्रैल को अष्टम स्वरूप महागौरी की पूजा-अर्चना के साथ महा अष्टमी का व्रत रखा जाएगा जबकि 25 अक्टूबर को माता के नौ रूप सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना के बाद हवन कन्या पूजन और बलिदान कार्य संपन्न कराए जाएंगे। 26 अक्टूबर सोमवार को विजयदशमी दशहरा के दिन प्रातः बेला में कलश विसर्जन अपराजिता पूजन और जयंती धारण के बाद प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाएगा