गिरिडीह।
प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के सब जोनल कमांडर नुनूचंद महतो के आत्मसमर्पण के चार दिनों बाद मंगलवार को गिरिडीह पुलिस ने प्रेसवार्ता आयोजित कर इनाम की राशि पांच लाख का चेक नुनूचंद को सौंपा। उल्लेखनीय हो की शुक्रवार की दोपहर को इनामी नक्सली ने पीरटांड थाना में नाटकीय तरीके से आत्मसमर्पण किया था। प्रेसवार्ता में एसपी अमित रेणु, प्रशिक्षु आईएएस पीयूष सिन्हा, डुमरी एसडीएम प्रेमलता मुर्मु, सीआरपीएफ सांतवी बटालियन के कमांडेट भारत भूषण जखमोला, कमांडेट अच्यूतानंद, सहायक कमांडेट मूलचंद और अपर पुलिस अधीक्षक गुलशन तिर्की भी थे। प्रेसवार्ता में एसपी तमाम अधिकारियों ने नक्सली नुनूचंद को बुके देकर उसका उत्साह बढ़ाया।
प्रेसवार्ता के दौरान नुनूचंद ने कहा कि नक्सलवाद का रास्ता छोड़कर उसे बेहद अच्छा लगा। उसने संगठन के शीर्ष नेताओं से भी अपील किया कि हिंसा के रास्ते छोड़कर समाज के सभी वर्गो के बीच रहे। उसने बताया की साल 2008 में ही उसने जीवन की बड़ी भूल दोहराते हुए गोंविद मांझी के कहने पर हार्डकोर माओवादी अजय महतो के दस्ते से जुड़ा था। जितने साल संगठन में रहकर उसने जीवन बर्बाद किया। उतने साल में उसके तीन बेटों-बेटियों ने सरकारी और गैर सरकारी स्कूल में शिक्षा हासिल कर अब एक आदर्श जीवन जी रहे है।
प्रेसवार्ता के दौरान एसपी अमित रेणु ने बताया कि नुनूचंद के आत्मसमर्पण में डुमरी एसडीपीओ मनोज कुमार, डुमरी सर्किल इन्सपेंक्टर आदिकांत महतो, पीरटांड थाना प्रभारी पवन कुमार और खुखरा थाना प्रभारी ने महत्पूर्ण भूमिका निभाया। एसपी ने बताया कि एक टीम वर्क के कारण नुनूचंद ने पीरटांड थाना में आत्मसमर्पण किया। लिहाजा, संरेडर कराने में भूमिका निभाने वाले अधिकारियों को भी रिवार्ड देने की अनुशंसा किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि जोनल कमांडर नुनूचंद पर 72 से अधिक नक्सली केस दर्ज है। इसमें सबसे अधिक गिरिडीह के विभिन्न थानों में जहां 59 केस दर्ज है। जबकि बोकारो में चार तो धनबाद में नौ केस दर्ज है। एसपी ने बताया कि नुनुचंद पीरटांड़ प्रखंड अंतर्गत खुखरा पंचायत के बरहागढ़ी निवासी है।
प्रेसवार्ता के दौरान एसपी ने बताया कि गिरिडीह में दर्ज 59 मामलों में प्रमुख केस साल 2010 में पीरटांड थाना के पूरनानगर और पांडेयडीह में सुरक्षा एजेंसी एसआईएस के वाहन को उड़ाया था। जिसमें पांच जवान की मौत हो गई थी। इसके अलावे साईं वर्धन के रिसर्च करने वाले तीन व्यक्तियों के अपहरण के बाद छापेमारी में लगी सीआरपीएफ के जवानों के साथ मुठभेड़ में कई पुलिस जवान जख्मी हुए थे।