. यह पुष्प ब्रह्मा जी का आसन है
कोडरमा।
झुमरीतिलैया शहर के गैस गोदाम निवासी रिटायर्ड एमएमटीसी अधिकारी के आंगन में रविवार की शाम को दुर्लभ ब्रह्मकमल के फूल खिलने से पूरा परिवार प्रफुल्लित हो उठा। वही फूल खिलने की जानकारी पर कौतूहल बस आसपास के काफी लोग भी इस दुर्लभ फूल का दीदार करने उनके घर पहुंचें। उत्तराखंड का राजकीय दुर्लभ फूल ब्रह्मकमल सामान्य तौर पर कम तापमान वाले राज्य उत्तराखंड सहित हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और कश्मीर में पाया जाता है।
रिटायर अधिकारी की पत्नी आशा देवी ने बताया कि रिटायर होने के बाद उसके पति ने बेंगलुरु के एक पड़ोसी के घर से ब्रह्म कमल का पौधा लेकर आए थे और अपने आंगन में लगाया था। करीब 4 वर्ष के लंबे इंतजार के बाद पहली दफा 2017 में मेरे आंगन में पहला फूल खिला था । गत 4 वर्षों से पौधे में एक दो -फूल खिले थे। लेकिन इस बार पौधे में एक साथ ही 11 दुर्लभ फूल लगे है जिसे देखकर पूरा परिवार हर्ष से खिल उठा। उन्होंने बताया कि वर्ष में एक बार जुलाई से अक्टूबर माह के बीच तापमान कम होने पर रात में फूल खिलते थे और सुबह होते ही बंद हो जाते है। इस बार लगातार बारिश से कम तापमान होने पर कुछ दिन पहले ही ब्रह्म कमल खिल उठा है। आशा देवी ने बताया कि ब्रह्मकमल अत्यंत सुंदर सुगंधित और दिव्य फूल है और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। इसे देखने मात्र से ही परिवार में सुख और समृद्धि मिलती है। इसका दर्शन भी दुर्लभ माना जाता है।
ब्रह्मकमल केदारनाथ और बद्रीनाथ की प्रतिमाओं पर भी चढ़ाए जाते हैं। ब्रह्मकमल भगवाना ब्रहमदेव को भी काफी प्रिय है। मान्यता है की दुनिया की रचना ब्रहमा ने ही की है, और यह पुष्प ही उनका आसन है। मान्यता है की रामायण में वनवास के दौरान इंद्रजीत के बाण से मुर्छित होने के बाद जब लक्ष्मण को होश आया था तब देवताओं ने स्वर्गलोक से ब्रहमकमल के फूल बरसाए थें। इस पुष्प का वर्णन वेदों में भी मिलता है।पौराणिक मान्यता के अनुसार केदारनाथ स्थित भगवान शिव को अर्पित करने के बाद ब्रहम कमल विशेष प्रसाद के रुप में बांटा जाता है। ब्रहम कमल के पौधों की ऊंचाई 70-80 सेटीमीटर हाेती है।
जमीन पर उगने वाला ब्रह्म कमल का उपयोग थकान मिटाने, पुरानी खांसी व अन्य असाध्य रोगों में किए जाते हैं। ब्रह्म कमल का दीदार करने वाले राजीव रंजन, वैष्णवी कुमारी व फरीदी कुमारी ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए इसे अत्यंत ही आकर्षक फुल बताया है।