Khunti news: गांवों, जंगलों और सड़क किनारे जगह-जगह पर खिले सूर्ख पलाश के और सेमल के फूल इस बात का आभास करा रहे हैं कि हिंदुओं का नव वर्ष आने वाला है। रंगों का त्योहार होली के साथ ही नव वर्ष भी शुरू हो जाएगा। बसंत पंचमी के आते ही खूंटी सहित कई जिलों और जंगलों में पलाश के फूल प्रकृति की शोभा बढ़ा रहे हैं। इसीलिए कहा जाता है कि पलाश या टेसू के फूल प्रकृति के श्रृंगार हैं और इसके सूर्ख रंग और आकार दीये की तरह होता है। इसकी बनावट के कारण ही अंग्रेजी साहित्यकारों ने इसे फ्लेम ऑफ फोरेस्ट या वन ज्योति की संज्ञा दी है। इन दिनों खूंटी, गुमला, लोहरदगा, सिंहभूम कहीं भी चले जाएं, हर ओर खिले पलाश के फूल बरबस ही आपका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेंगे। बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि चैत्र के महीने में प्रकृति भी अपने सुंदरतम रूप में होती है। झारखंड का राजकीय पुष्प भी पलाश ही है।

पलाश फूल से बनाये जाते हैं रंग और गुलाल
पलाश और सेमल के फूलों का उपयोग होली के दौरान रंग और गुलाल बनाने में किया जाता रहा है। कर्रा रोड खूंटी की रहनेवाले वरिष्ठ पत्रकार अष्ण चौधरी कहते हैं कि भले ही आज के बच्चे केमिकलयुक्त रंगों से होली खेलते हो, पर पहले लोग पलाश और सेमल के फूलों से रंग और गुलाल बनाते थे। रंग बनाने के लिए फूलों को किसी बड़े बर्तन में रात भर आग में पकाया जाता है। वहीं गुलाल बनाने के लिए फूलों को धूप में सुखाया जाता है और पीसकर गुलाल तैयार किया जाता है। एक किलो फूल से लगभग आठ सौ ग्राम गुलाल तैयार हो जाता है।
तोरपा के सामाजिक कार्यकर्ता धमेंद्र कुमार कहते हैं कि हमें हर हाल में प्रकृति के साथ चलना होगा। पलाश और सेमल के फूलों से बने रंग शरीर के लिए काफी लाभदायक हैं। इसलिए हमें रसायन युक्त रंगों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। प्राकृतिक रंग से होली में पानी की भी बचत् होती है।
तोरपा के वैद्य नंदू महतो कहते हैं कि पलाश औषधीय गुणों की खान हैं। इसका उपयोग कई तरह की बीमरियों के इलाज में किया जाता है। भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य संतोष जयसवाल कहते हैं कि सरकार को चाहिए कि वह पलाश के फूलों की खरीदारी कर उससे प्राकृतिक रंग और गुलाल का निर्माण कराए। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा और लोगों का प्रकृति से जुड़ाव भी होगा। झामुमो के नेता प्रदीप केशरी कहते हैं कि पूरे खूंटी जिले में भारी मात्रा में पलाश के फूल पाये जाते हैं। इसका कहीं सदुपयोग नहीं होता है। उन्होंने कहा कि प्रशासन को इसके व्यावसायिक उपयोग के बारे में विचार करना चाहिए।
पलाश पेड़ों की भरमार है खूंटी जिले में
खूंटी जिले में प्रचूर मात्रा में पलाश के पेड़ पाये जाते हैं, पर इसके उपयोग पर सरकर या प्रशासन ने अब तक ध्यान नहीं दिया है। जेएसएलपीएस के एक अधिकारी बताते हैं कि पलाश के फूलों के व्यावसायिक उपयोग के बारे में जिला प्रशासन विचार कर रहा है। पलामू और हजारीबाग जिले में प्रशासन पलाश के फूलों से रंग और गुलाल बनाने के लिए पलाश के फूलों की खरीदारी करता है। प्रशासन द्वारा 25 से 30 रुपये प्रति किलो की दर से पलाश के फूलों की खरीदारी कर रहा है। इससे स्थानीय लोगों को कुछ समय के लिए रोजगार मिल जाता है।