नई दिल्ली।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को 2018-19 के लिए 42 स्वयंसेवकों जिसमें 14 लड़कियां शामिल हैं राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार प्रदान की। राष्ट्रपति भवन से वर्चुअल माध्यम से विज्ञान भवन में आयोजित पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि पुरस्कार विजेताओं में बालिकाओं की भागीदारी 33% रहना यह सिद्ध कर रहा है कि हमारी बेटियां भी राष्ट्र सेवा में अमूल्य योगदान दे रही है। उन्होंने कहा कि पुरस्कार विजेताओं की सूची में शामिल देश की बेटियों ने अपनी असाधारण निष्ठा सेवा भावना और साहस का परिचय दिया है। राष्ट्रपति ने कहा कि देश की बेटियों का यह योगदान हमारी उस परंपरा को याद दिलाती है जिसमें सावित्रीबाई फुले, कस्तूरबा गांधी और मदर टेरेसा जैसे सेवा भावना के महान और प्रेरक उदाहरण मौजूद है।
राष्ट्रपति ने एनएसएस के प्रेरणा स्रोत राष्ट्रपति महात्मा गांधी के सेवा को याद करते हुए कहा कि उन्होंने केवल मानवता ही नहीं बल्कि पशु, पक्षियों और प्रकृति के प्रति भी सेवा और करुणा की भावना पर बल दिया था। साथ ही अपना संपूर्ण जीवन सेवा के लिए समर्पित कर दिया था। बापू ने कहा था कि ईश्वर की पहचान सेवा से होगी यह मानकर मैंने सेवा धर्म स्वीकार किया था। राष्ट्रपति ने कहा कि कि देश में तकनीकी संस्थानों कॉलेजों तथा विश्वविद्यालय के लगभग 40 लाख युवा विद्यार्थी राष्ट्रीय सेवा योजना से जुड़कर समाज और राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं। उन्होंन एनएसएस कार्यकर्ताओं के कोविड-19 जैसे वैश्विक महामारी के दौरान भी किए गए सेवाओं को काफी सराहनीय बताया। समारोह को संबोधित करते हुए केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा कि युवा स्वयंसेवक ही देश के भविष्य हैं। आज की युवा पीढ़ी सामाजिक कार्यों को जारी रखते हुए भारत का नाम रोशन करेंगे।