Ranchi: एनआरएचएम अनुबंध कर्मचारी संघ और झारखंड अनुबंधित पारा चिकित्सा कर्मी संघ के बैनर तले हड़ताल और आमरण अनशन कार्यक्रम और तेज होने क संभावना है। अनशन पर बैठे स्वास्थ्य कर्मी की हालत बिगड़ रही है और सरकार ने अब तक तनिक भी ध्यान नहीं दिया है। ऐसे में आंदोलित कर्मी ने राजभवन के सामने आत्मदाह करने की घोषणा की है। पारा चिकित्सा कर्मी संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने अनशन स्थल पर कहा कि झारखंड सरकार की कैबिनेट ने कई प्रस्तावो को मंजूरी दिया है। पर आंदोलनरत्त कर्मचारियों के लिए कोई पहल नहीं हुई।
उन्होने कहा कि यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण एवं स्वास्थ्य कर्मचारियों में रोष पैदा करने वाला घटना है। सरकार में शामिल सभी घटक दल के विधायक अपने अपने तरफ से पत्र जारी करके हमारे आंदोलन को सही कहा है और हमारे मांगों को शत प्रतिशत सही माना है और तो और स्वास्थ्य विभाग के मुखिया स्वास्थ्य मंत्री जिस पार्टी से आते हैं उस पार्टी के भी कई विधायक एवं नेतागण हमारे मांगों को पूरी तरह जायज और उचित मानते हुए अपना समर्थन दिया है इसके बाद भी हमारे स्वास्थ्य मंत्री के तरफ से अभी तक कोई सकारात्मक पहल नहीं किया गया है जो काफी उद्वेलित करने वाला है
जब कल के कैबिनेट में सभी विभाग की तरफ से अनेकों प्रस्ताव दिया गया तो क्या स्वास्थ्य मंत्री स्वास्थ्य विभाग के तरफ से कोई प्रस्ताव नहीं ला सकते थे । स्वास्थ्य मंत्री के इस नकारात्मक रवैया का हम तीखी भर्त्सना करते हैं और दोगुना जोश और उत्साह से इस आंदोलन को और धारदार बनाने का प्रण लेते हैं। सरकार के द्वारा सभी नर्सिंग कॉलेज के नर्सिंग स्टूडेंट को 1 साल का अनिवार्य सेवा बांड भरवाने का निर्णय आंदोलनकारियों को और भड़काने का कार्य किया है इसका हम विरोध करते हैं
सरकार की कथनी और करनी में यहां साफ अंतर दिख रहा है। यह किसी से छिपा हुआ नहीं है की प्राइवेट नर्सिंग कॉलेज में कहां के बच्चे ट्रेनिंग लेते हैं सबों को इस बात का पूरी जानकारी है कि इतने दिनों से आमरण अनशन पर रह रहे कई साथियों का स्वास्थ्य काफी दयनीय हो चुका है। आन्दोलनकारी को लगता है की स्वास्थ्य मंत्री को भी इन सब बातों का जानकारी अवश्य होगा उसके बाद भी उनका मौन रहना समझ से परे है । अगर स्वास्थ्य मंत्री कर्मचरियों का कुर्बानी ही लेना चाहते हैं तो अब हम अपने को उसके लिए भी तैयार कर लिया हूं ।अगर जल्द कोई ठोस निर्णय हमारे पक्ष में स्वास्थ्य मंत्री और मुख्य मंत्री की ओर से नहीं आता है तो आंदोलनकारी सामूहिक आत्मदाह करने से भी पीछे नहीं हटेंगे अब निर्णय इस सरकार के हाथों में है।आन्दोलनकारी धरना स्थल पर ही सामूहिक आत्मदाह करने को विवश होगे।