Ranchi News: मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन मंगलवार को प्रकृति पर्व सरहुल के पावन अवसर पर रांची के सिरमटोली स्थित सरना स्थल पर आयोजित पूजन कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने यहां पारंपरिक विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर राज्य के सर्वांगीण विकास, सुख, समृद्धि और शांति की कामना की।

मुख्यमंत्री ने सरहुल पर्व पर झारखंड में दो दिवसीय राजकीय अवकाश किया घोषित
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सरहुल पर्व पर झारखंड में दो दिवसीय राजकीय अवकाश घोषित किया है। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट शेयर कर इसकी जानकारी दी। हेमंत सोरेन ने लिखा कि पिछले कई वर्षों से सरहुल के अवसर पर दो दिन के राजकीय अवकाश की मांग उठ रही थी। आदिवासी समाज के इस महा पावन पर्व के महत्व को देखते हुए इस वर्ष से दो दिन का राजकीय अवकाश घोषित किया जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड की संस्कृति एवं परंपराओं की गौरवशाली धरोहर को हम सहेजते आये हैं और सदैव सहेजेंगे। जय सरना, जय झारखंड।
राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने सरहुल पर्व की दी शुभकामनाएं
राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने प्रकृति पर्व सरहुल की समस्त झारखंड वासियों को शुभकामनाएं और बधाई दी है। राज्यपाल ने प्रकृति पर्व सरहुल की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि प्रकृति उपासना का यह पर्व हमें पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन का संदेश देता है।आइए, इस पावन अवसर पर हम सभी प्रकृति के संरक्षण और संवर्धन का संकल्प लें।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार को सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि प्रकृति महापर्व सरहुल के शुभ अवसर पर सभी को हार्दिक बधाई, शुभकामनाएं और जोहार।उन्होंने कहा कि प्रकृति का यह महापर्व सभी को स्वस्थ, सुखी और समृद्ध रखे, यही कामना करता हूं।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि आदिवासी समाज की समृद्ध संस्कृति का प्रतीक, प्रकृति पर्व सरहुल की आप सबको हार्दिक शुभकामनाएं। मरांग बुरू से प्रार्थना है कि फूलों की महक, नई फसलों के उमंग का यह पावन पर्व सबके जीवन में सुख शांति एवं समृद्धि लाए। उन्होंने कहा कि सरहुल हमें प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने और संरक्षण का संदेश देता है। आइए, इस शुभ अवसर पर हम सभी पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक एकता का संकल्प लें।
पाहन ने इस वर्ष सामान्य से कम बारिश का लगाया अनुमान
राजधानी रांची सहित पूरे राज्य में प्रकृति पर्व सरहुल का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दौरान पाहन ने मंगलवार को सरना स्थल पर प्रकृति, पूर्वज और देवी देवताओं की पूजा की। सरना स्थल पर दो घड़े में रखे पानी का आकलन कर हातमा सरना समिति के पुरोहित (पाहन) जगलाल पाहन ने बताया कि इस साल सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है।
इससे पहले पुजारी जगलाल पाहन ने सरना स्थल पर विधि विधान के साथ देवी-देवताओं, प्रकृति और पूर्वजों की पूजा की। इस दौरान सफेद यानी चरका मुर्गे की बलि भगवान सिंगबोंगा को, रंगवा मुर्गे की बलि जल देवता यानी इकिर बोंगा को, रंगली मुर्गे की बलि पूर्वजों को और काले मुर्गे की बलि अनिष्ट करने वाली आत्माओं की शांति के लिए दी गई। पूजा के बाद घड़े में रखे पानी से पाहन को स्नान कराया गया। थाली में उनके पैर धोए गए। इसके बाद पाहन ने बारिश की भविष्यवाणी की।
पुजारी जगलाल पाहन ने बताया कि मौसम को देखते हुए कृषि कार्य शुरू करें। मौसम की भविष्यवाणी की परंपरा आदिकाल से चलती आ रही है। जब साइंस डेवलप नहीं हुआ था, उस समय आदिवासियों के पूर्वज प्रकृति के तौर तरीकों का आंकलन कर अनुमान लगाते थे कि मानसून कैसा रहेगा। यह परंपरा सदियों से चलती आ रही है।
पाहन ने बताया कि सरहुल पर्व में तीन दिन का आयोजन होता है, जिसमें पहले दिन जनजातीय समाज के लोग उपवास रखते हैं। सुबह खेत एवं जलाशयों में जाकर केकड़ा एवं मछली पकड़ते हैं। पूजा के बाद रसोई में उसे सुरक्षित रख देते हैं। ऐसी मान्यता है कि फसल बोने के समय केकड़ा को गोबर पानी से धोया जाता है। इसके बाद उसी गोबर पानी से फसलों के बीज को भीगा कर खेतों में डाला जाता है।
पाहन ने बताया कि पूर्वजों की ऐसी मान्यता है कि केकड़ा के 8-10 पैरों की तरह फसल में भी ढेर सारी जड़े निकलेंगी और बालियां भी खूब होंगी। अच्छी फसल होगी। उन्होंने बताया कि पहले धरती पर पानी ही पानी था। केकड़े ने मिट्टी बनाई और धरती वर्तमान स्वरूप में आया। उन्होंने कहा कि कितना भी अकाल पड़ जाए, जहां केकड़ा होगा वहां संकेत है कि पानी जरूर होगा।