रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सरकार के तीन वर्ष पूरे होने पर उपलब्धियां गिनायीं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने तीन वर्षों के कार्यकाल में आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों के हक और अधिकार के लिए कई काम किये। उन्होंने 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता नीति को सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि बतायी। वे बुधवार को आवास पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि बाहरी-भीतरी और आदिवासियों की राजनीति करने का आरोप लगता है लेकिन उनकी मंशा राज्य के हर वर्ग के अधिकार और हक को सुरक्षित रखने के लिए मजबूत प्रहरी लगाने की है। झारखंड हाई कोर्ट में नियोजन नीति रद्द होने के बाद नियुक्ति और नियोजन के रास्ते खत्म होने के मामले पर कहा कि कोर्ट ने नियोजन नीति को निरस्त किया है। उसका कानूनी आकलन करेंगे। नौजवानों का भविष्य खराब ना हो, उनकी भी हमें चिंता है। आरक्षित लोग, बिना स्थानीयता नीति या नियोजन नीति के भी सुरक्षित हैं। कुछ त्रुटियां हैं, उस पर विचार कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जेल में कितने आदिवासी, पिछड़े और दलित बंद हैं? संविधान में उन्हें शक्तियां दी गई हैं। उन्हें संरक्षित किया गया है। इसके बावजूद, वे आगे बढ़ नहीं पा रहे हैं। इसके पीछे की वजह क्या है? इसीलिए हमने बिल को 9वीं अनुसूची में डालने को कहा ताकि ऐसे खुराफाती लोग कोर्ट जायें। हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड और बिहार, देश के सबसे पिछड़े राज्यों में से हैं। जीएसटी (कंपनसेशन) के लिए पांच साल का पीरियड बढ़ाया जाये। बिजली का बकाया, कई अन्य राज्यों का भी है लेकिन उनकी बिजली क्यों नहीं कटती, हमारी क्यों कट जाती है?
मुख्यमंत्री ने ईडी, आइटी और सीबीआइ जैसी जांच एजेंसियों की कार्रवाई के सवाल पर कहा कि जांच एजेंसियों का दोषसिद्ध 0.5 फीसदी है। जांच एजेंसियां विपक्षियों के ऊपर ज्यादा सक्रिय हैं। पक्ष पर कितनी कार्रवाई हुई? बोलने की जरूरत नहीं, सब कुछ स्पष्ट रूप से दिखता है. शुतुरमुर्ग जैसे सिर छुपा लेने से शरीर नहीं दिखता? जहां अरबों-खरबों का घोटाला हो रहा। बैंकों के हजारों करोड़ रुपये लेकर चंपत हो जा रहे हैं, उन पैसों का अता-पता नहीं। भगवान जाने पांच लाख करोड़ रुपये कब आयेंगे। यहां चवन्नी-अठन्नी ढूंढने में लगे हुए हैं। राज्य में 100-200 छापों से क्या मिला। कुछ पैसे कहीं-कहीं मिले। पता चला कि भाजपा के लोग हैं तो उन्हें छोड़ दिया। एजेंसियां ईमानदारी से काम करें तो हमें आपत्ति नहीं लेकिन गलत तरीकों पर हमारी भी आपत्ति है।
हेमंत साेरेन ने नक्सल के सवाल पर कहा कि बूढ़ा पहाड़ की नक्सल से मुक्ति के लिए माइक्रो लेवल पर काम हुआ है। उन्होंने कहा कि नक्सलियों का मनोबल टूट कर बिखर चुका है। हमारा प्रयास रहेगा कि टूटा मनोबल जो बिखर गया वो टुकड़े दोबारा ना जुड़े। इन टुकड़ों के लिए सरकार की पॉलिसी है। वे समाज की मुख्य धारा में आयें। सरकार सम्मान के साथ पेश आयेगी। मुख्यमंत्री ने राज्य में महिलाओं और बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाओं पर कहा कि महिलाओं का उत्पीड़न देश के लिए चिंता का विषय है।