रांची से देवेंद्र शर्मा की रिर्पोट:-
Ranchi: सभी सुविधा से सुसज्जित अस्पताल सह मेडिकल कॉलेज रिम्स बिमार चल रहा है। राज्य के कोने कोने से यहां आने वाले बिमार अस्पताल की व्यवस्था और अनियमितता ,भ्रष्टाचार से दो चार होने के बाद पुनः यहां आने से कतराते हैं। अस्पताल में निबंधन कराने से लेकर वार्ड में भर्ती और बेड तक की व्यवस्था के लिए बिना चढ़ावा के सम्भव नहीं । ट्राली पर बैठाकर वार्ड तक पहुंचाने तक की प्रक्रिया के लिए मरीज को पहले चढावा देना पड़ता है। कहने को तो रिम्स हर सुविधा से परिपूर्ण बताया जाता है परन्तु यहां व्याप्त अनियमितता,भ्रष्टाचार और लुट खसोट चरम सीमा पर है।
साल 1960 में Rmch की स्थापना का उद्देश्य था की क्षेत्र के मरीज को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध करायी जा सके। सभी विभाग में प्रख्यात चिकित्सक की तैनाती की गयी । कालेज में अध्ययन के लिए देश के कोने कोने से छात्र आते थे। चिकित्सा बेहतर होने के कारण पुरे बिहार से मरीज आकर चिकित्सा कराते । लगभग 33 विभाग की स्थापना की गई थी। बर्ष 2002 में Rmch को एम्स की तरह सुविधापूर्ण बनाने के लिए नाम परिवर्तित कर रिम्स किया गया ।अस्पताल में भारी खर्च कर उपकरण,यन्त्र के साथ हर तरह की सुविधा भर दी गई।
जानकार बताते है की करोड़ो की राशि से हर तरह की मशीन खरीदी गई जिसे यहां चिकित्सक चलाना भी नही जानते थे।
अस्पताल में लगभग 1500 मरीज के चिकित्सा की सुविधा के साथ साथ प्रतिदिन दो हजार ओ पी डी में मरीज की जांच हो रही है। रिम्स को सरकार की ओर से लगभग हर साल चार सौ करोड़ के बजट का प्रावधान भी रखा गया । मरीज की जांच से लेकर दवा मुफ्त देने की भी व्यवस्था सरकार ने की है ,परन्तु सब व्यवस्था हाथी के दांत की तरह है।रिम्स में मरीज को ढोने वाले ट्राई मैन बिना पैसा लिए सुविधा त क्या देखना तक पंसद नही करते ।
मरीज को बेड लेने के लिए मोटी रकम चुकानी पड़ती है ।डॉक्टर तब तक हाथ नही लगाते जब तक वार्ड में तैनात उनके दलाल डॉक्टर की उपरी फीस नही ले लेते चिकित्सा त दूर आप्रेशन तक नही करते।कुछ माह पहले कुछ चिकित्सक पर इन्ही आरोप को लेकर कार्रवाई हुई थी ,दो डॉक्टर की सेवा समाप्त कर दिया गया था ।रिम्स मे सैकड़ो की संख्या में सीनियर डॉक्टर तैनात है पर ओ पी डी और वार्ड में पी जी और सीनियर छात्र ही सेवा देते नजर आते है।रिम्स में हर काम के लिए चढ़ावा को अनिवार्य बना दिया गया है।