रांची। रिम्स प्रबंधन की घोर लापरवाही और अनियमितता भ्रष्टाचार के कारण रिम्स हमेशा खबरों मे बना रहता है ।कोरोना काल में रिम्स प्रबंधन, डाक्टर, कर्मी के अनियमितता ,भ्रष्टाचार के कारण सैकड़ो लोगो की जान चली गई थी। न्यायालय के द्वारा समय समय पर की गई गंभीर टिप्पणी और निर्देश का भी असर नही पड़ा है। उच्च न्यायालय ने अभी हाल ही में स्वास्थ्य सचिव और रिम्स प्रबंधन को फटकार लगाई थी और कहा था की यदि वो काम सुचारू पूर्वक नही करा सकते त वो पद का त्याग कर दें। इसके ठीक चौबीस घंटे बाद ही
रांची रिम्स में काम करने वाले लांड्री व सेंट्रल स्टेराइल सप्लाई डिपार्टमेंट (सीएसएसडी) विभाग के कर्मी अपने बकाये वेतन के भुगतान की मांग को लेकर गुरुवार सुबह से ही हड़ताल पर चले गए। इसके चलते रिम्स में सारे आपरेशन बंद कर दिए गए। स्थिति यहां तक हो गई कि किसी भी विभाग का ओटी नहीं खुल सका। ओटी में डाक्टरों के लिए ना ही कोई स्टरलाइज सामान पहुंच सका और ना ही गाउन, कपड़ा व चादर तक उपलब्ध कराए जा सके। ओपीडी से अनेक मरीज को लौटते देखा गया।
हड़ताल की वजह से 65 मरीजों की सर्जरी टली
अपनी मांग को लेकर हड़ताल पर बैठे लांड्री कर्मियों ने किसी तरह की सफाई का काम नहीं किया। इसके मद्देनजर करीब 40 मरीजों की सर्जरी नहीं हो सकी। जबकि आर्थो और गायनी में 25 मरीजों की सर्जरी नहीं हो पाई। कुल मिलाकर लगभग 65 मरीजों की सर्जरी नहीं हो सकी।
हड़ताल से मरीज हुए काफी परेशान
इस दौरान राहत की बात यह रही कि गायनी विभाग की ओर से इमरजेंसी सर्जरी चालू रही और लेबर रूम में गर्भवतियों की जरूरी सर्जरी पूरी की गई। इस हड़ताल की वजह से मरीज काफी परेशान रहे क्योंकि काफी लंबे इंतजार के बाद उन्हें सर्जरी का वक्त मिला था, लेकिन प्रबंधन की व्यवस्था ऐसी रही कि समय मिलने के बाद भी सर्जरी पूरी नहीं हो पाई। सर्जरी विभाग में कई ऐसे केस थे जिनकी सर्जरी बेहद जरूरी बताई जा रही थी।
रिम्स प्रबंधन की ओर से अपनी सफाई पेश करते हुए कहा गया की रिम्स में ऑउटसोर्स के माध्यम से रखे गए लांड्री कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने की सूचना मिलते ही अस्पताल प्रबंधन ने संबंधित एजेंसी के अधिकारी से बात कर तत्काल बकाया वेतन का भुगतान करने का निर्देश दिया है। एजेंसी ने यथाशीघ्र अपने स्तर से कुछ भुगतान करने का आश्वासन दिया है।
दूसरे पहर काम पर लौटे कर्मचारी
इधर लांड्री कर्मचारियों के साथ रिम्स अधीक्षक की वार्ता हुई। इसके बाद उनकी (कर्मचारियों) एजेंसी के साथ रिम्स प्रबंधन की बात हुई। जल्द ही सारी व्यवस्था दुरुस्त करने का आश्वासन दिया गया। इसके बाद कर्मी बात माने और काम पर वापस लौटे। अधीक्षक डा. हीरेंद्र बिरुआ ने बताया कि कुछ पेमेंट रिम्स की ओर से नहीं हो पाया है, उसे जल्द पूरा कर दिया जाएगा। जिस पर एजेंसी ने अपनी सहमति दिखायी है।
बाद में भी इस कारण नहीं हो पाई मरीजों की सर्जरी
उधर, लांड्री कर्मियों के काम पर वापस लौटने के बाद भी कोई सर्जरी नहीं हो पायी। सर्जन डा. शीतल मलुआ ने बताया कि किसी भी आपरेशन के लिए मरीजों को खाली पेट रखा जाता है। लेकिन जब सुबह सर्जरी नहीं हुई तो सभी मरीजों ने भोजन कर लिया। इससे सभी सर्जरी टाल दी गई। मालूम हो कि एजेंसी द्वारा कोई सुविधा नहीं मिलने के कारण कर्मी नाराज थे। इन कर्मियों को नौ माह से भुगतान नहीं किया गया है।
मरीजों को मिल रही गंदी चादर, डाक्टर पर हुई थी कार्रवाई ।
इधर इस बीच लगातार मरीजों के बेड के चादर गंदे ही मिल रहे हैं। प्रबंधन ने बताया कि एजेंसी को इस सिलसिले में फटकार भी लगायी गई। कुछ दिन पहले ही स्वास्थ्य मंत्री ने कार्डियोलाजी विभाग में औचक निरीक्षण कर गंदे चादर पर एक डाक्टर पर कार्रवाई तक कर दी थी। इसके बाद भी व्यवस्था नहीं सुधरी। जबकि लांड्री संचालकों का कहना है कि उन्हें पर्याप्त मात्रा में डिटर्जेंट नहीं मिलता, जिस कारण से कपड़ों की सफाई सही से नहीं हो पाती है।
महिला मरीजों को ओटी से भेजा गया बाहर
गायनी विभाग में भर्ती कुछ महिलाओं की सर्जरी होनी थी। इसके बाद पांच मरीजों को ओटी ले जाया गया। इसमें से दो मेजर व दो मायनर सर्जरी थी। लेकिन डाक्टरों को ना ही गाउन मिला, ना ही कोई सर्जिकल टूल्स मिल सका, जिसके बाद मरीजों को बिना सर्जरी
के वापस लौटा दिया गया।रिम्स मे इस प्रकार की यह कोई नई घटना नही है।सर्जरी के लिए आपरेशन थियेटर रूम डाक्टर को पैसा नही दिए जाने पर वापस लौटा देने की घटना हो चुकीं है।झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के द्वारा रोज धमकी चेतावनी का भी कोई असर रिम्स पर नही पड रहा है।रिम्स मे शोषण,उत्पीड़न और भयादोहन की खबर रोज होती है ।रिम्स प्रबंधन हर खबर पर पर्दादारी की रस्म अदायगी करती रहती है।