रांची। झारखंड में ग्रामीण विद्युतीकरण की योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पायीं। पिछले कुछ वर्षों में ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना आरजीजीवीवाइ, दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण विद्युतीकरण योजना डीडीयूजीजेवाई शुरू की गयी। इन योजनाओं के पूरा न होने में जेबीवीएनएल की खामियों को बताया गया है। महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक, निगम के पास उपभोक्ता डेटाबेस नहीं है। यहां तक कि ग्रामीण विद्युतीकरण से संबंधित डेटाबेस भी राज्य में तैयार नहीं है। कैग की रिपोर्ट में निगम के डीपीआर पर सवाल खड़े किये गये हैं। कैग रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्रामीण विद्युतीकरण योजनाओं के लिए सात जिलों में जांच की गयी। आरजीजीवीवाइ योजना के लिए सात जिलों की गलत सूचना संवेदकों को दी गयी। इन जिलों में चतरा, गढ़वा, लातेहार, पलामू, दुमका, चाईबासा और सिमडेगा हैं।
निगम के डीपीआर में इन जिलों के 260 गांवों को विद्युतीकृत बताया जबकि 678 गांवों को अविद्युतीकृत बताया। योजना के तहत चतरा, गढ़वा, लातेहार और पलामू में योजना पूरी नहीं हुई। दुमका और चाईबासा में बीपीएल घरों में बिजली की जानकारी केंद्र को नहीं देने और सिमडेगा जिला का डीपीआर अपलोड नहीं करने पर निगम केंद्र सरकार के 182.68 करोड़ रुपये अनुदान से वंचित हो गया।
7925 गांवों में से 819 गांवों में मार्च 2020 तक विद्युतीकरण नहीं हुआ
रिपोर्ट के अनुसार, इन सात जिलों में पूर्ण विद्युतीकरण का लक्ष्य दिसंबर 2019 तक पूरा कर लेना था। दीनदयाल ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत 7925 गांवों में से 819 गांवों में मार्च 2020 तक विद्युतीकरण नहीं हुआ। यह चयनित गांवों का दस फीसदी रहा। इसके बाद भी राजीव गांधी योजना के तहत मार्च 2020 तक 1,15,629 लाभुकों में से 23951 लाभुकों को भी कनेक्शन नहीं दिया गया, जो लक्ष्य का 21 फीसदी होता। दीनदयाल योजना के तहत 2,15,605 में से 68,417 लाभुकों को भी कनेक्शन नहीं दिया गया, जो कुल लक्ष्य का 32 फीसदी होता। ऐसे में निगम लक्ष्य पूरा नहीं कर पाया।
महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट में क्या-क्या
-एजीजे योजना को बगैर लक्ष्य पूरा किये समय के पहले बंद कर दिया गया। योजना के तहत 3 लाख 64 हजार एपीएल घरों में निशुल्क बिजली कनेक्शन देना था जबकि निगम ने एक लाख 86 हजार घरों को ही निशुल्क कनेक्शन दिया। इसकी प्रमुख वजह निगम की ओर से संवेदकों को लाभुकों की सूची उपलब्ध नहीं कराना रहा।
-सौभाग्य योजना के तहत उल्लेखित सात जिलों में योग्य लाभुकों का बगैर आकलन किये निशुल्क कनेक्शन दिया गया। इसके तहत 4,06,169 घरों में कनेक्शन देना था जबकि निगम ने दो लाख 84 हजार 485 लाभुकों को इसका लाभ दिया।
-केंद्र सरकार की अलग अलग योजनाओं के तहत जो ऊपर उल्लेखित है। उसके अनुसार राज्य सात जिलों में 5,23,295 लाभुकों को बिजली कनेक्शन दिया गया लेकिन बिल मात्र 2,93,334 उपभोक्ता दे रहे हैं।
-कैग ने 431 उपभोक्ताओं की समीक्षा की। जानकारी मिली कि कनेक्शन देने के दो महीने से लेकर 27 महीने तक बिल देने में देर हुई, जिसमें तकनीकि कारण प्रमुख रहा। निगम 2018-19 तक टेक्निकल और कॉर्मिशयल लॉस गैप को भरने में विफल रहा। 2019-20 तक ये लॉस 33.49 फीसदी रहा। उदय स्कीम के अनुसार अगर निगम इस लॉस गैप को भर लेता तो निगम सरकार से मिले लोन को अनुदान में बदल लेता लेकिन निगम इसमें भी विफल रहा।