.केंद्र सरकार के कई मंत्रियों ने अर्णव गोस्वामी की गिरफ्तारी को बताया आपातकाल

.एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने की गिरफ्तारी की निंदा
मुंबई।
मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी के एडीटर इन चीफ अर्णव गोस्वामी को बुधवार को गिरफ्तार कर लिया। उनकी गिरफ्तारी 2018 में हुई एक आत्महत्या के मामले में की गई है। जानकारी अनुसार 5 मई 2018 को अलीबाग के कावीर गांव में आर्किटेक्ट अन्वय नाईक व उनकी मां ने आत्महत्या कर ली थी। नाईक ने आत्महत्या से पहले लिखे सुसाइड पत्र में अर्णव गोस्वामी, फिरोज शेख और नितेश शारदा के नामों का जिक्र करते हुए तीनों पर आत्महत्या के लिए उकसाने की बात कही थी। इस मामले की शिकायत अन्वय नायक की पत्नी अक्षता नाईक ने की थी। इस मामले में बुधवार को मुंबई पुलिस ने अर्णव गोस्वामी के घर की तलाशी लिया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
पत्रकार अर्णव गोस्वामी के गिरफ्तारी को लेकर भाजपा सहित कई पत्रकारों ने इसकी निंदा करते हुए इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताया है। भाजपा के प्रकाश जावेडकर ने ट्वीट कर कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता पर हुए हमले की भर्त्सना करते हैं। यह प्रेस के साथ व्यवहार का तरीका नहीं है। उन्होने कहा की यह हमें आपातकाल की याद दिलाता है। वही एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा है कि पत्रकार और नो गोस्वामी को अचानक गिरफ्तार किया जाना निंदनीय है और आहत करने वाला है। गिल्ड ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से मांग की है कि गोस्वामी के साथ उचित व्यवहार हो और उनके खिलाफ सरकारी मिशनरी का इस्तेमाल ना की जाए।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने अर्णव गोस्वामी की गिरफ्तारी की निंदा की है। उन्होंने कहा है कि 1975 के ड्रैकनियन आपातकाल का विरोध करते हुए प्रेस की स्वतंत्रता के लिए उन्होंने लड़ाई लड़ी थी। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा है कि अगर आज अर्णव के साथ खड़े नहीं हुए तो इसका मतलब होगा कि आप फांसिज्म का समर्थन कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने महाराष्ट्र में प्रेस की स्वतंत्रता पर हमले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा है कि यह एक अघोषित आपातकाल की ओर जाता फासिस्ट कदम है। पत्रकारों पर हमला सत्ता के दुरुपयोग का एक उदाहरण है। भाजपा नेता राम माधव ने कहा है कि एक बंद मामले को दोबारा जांच के लिए खुलवा कर अर्णव को गिरफ्तार किया जाना बदले की भावना को दर्शाता है। वहीं विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि आपातकाल और गोस्वामी गिरफ्तारी प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा है कि क्या हम लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही और फासिज्म के दौर में लौट रहे हैं।