Ratan Tata: भारत के महान उद्योगपति और टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष, रतन टाटा का 9 अक्टूबर की देर रात मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे और लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। उनकी मृत्यु से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। व्यापारिक क्षेत्र में तहलका मचाने वाले रतन टाटा ने अपने जीवन में कई उपलब्धियां हासिल कीं, जिन्होंने भारतीय उद्योग को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
आम आदमी के कार के सपने को किया साकार
रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने न केवल व्यावसायिक सफलता प्राप्त की, बल्कि समाज सेवा और परोपकार के लिए भी एक नया मानदंड स्थापित किया। उनकी अद्वितीय सोच ने ऑटोमोबाइल उद्योग में भी क्रांति ला दी। टाटा नैनो जैसे किफायती वाहन ने आम आदमी को सस्ती कार उपलब्ध कराने का सपना साकार किया। इसके अलावा, उनकी नेतृत्व क्षमता ने टाटा समूह को वैश्विक मंच पर सबसे सफल और भरोसेमंद कंपनियों में शामिल किया।
इतनी मानी गई है संपत्ति
रतन टाटा की संपत्ति का आंकलन 2022 में किया गया था, जिसमें उनकी कुल संपत्ति करीब 3800 करोड़ रुपये मानी गई थी। हालांकि, वह अन्य शीर्ष उद्योगपतियों की तरह अत्यधिक वेतन नहीं लेते थे। टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष के रूप में उनकी वार्षिक आय लगभग 2.5 करोड़ रुपये थी। इसके बावजूद, उनकी संपत्ति उनके प्रभावशाली व्यक्तित्व और कंपनी के विशाल व्यापारिक साम्राज्य के मुकाबले कम मानी जाती थी, क्योंकि वह अपनी अधिकांश कमाई समाज सेवा के लिए दान कर देते थे।
रतन टाटा द्वारा स्थापित टाटा ट्रस्ट स्वास्थ्य, शिक्षा, और ग्रामीण विकास के क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर कार्यरत है। उन्होंने परोपकार और सामाजिक कल्याण के लिए अपनी आय का बड़ा हिस्सा इसी ट्रस्ट के माध्यम से खर्च किया। यही कारण है कि वह भारतीय उद्योग जगत के सबसे प्रिय और सम्मानित व्यक्तियों में से एक माने जाते हैं।
कौन होगा रतन टाटा का उत्तराधिकारी
रतन टाटा की मृत्यु के बाद, उनके उत्तराधिकारी की चर्चा जोरों पर है। माया टाटा, जो उनके सौतेले भाई नोएल टाटा की बेटी हैं, को उनकी संपत्ति और टाटा समूह की बागडोर संभालने का संभावित उत्तराधिकारी माना जा रहा है। माया को रतन टाटा के मार्गदर्शन में समूह के नेतृत्व के लिए तैयार किया जा रहा था।
रतन टाटा के निधन से भारत ने न केवल एक सफल उद्योगपति, बल्कि एक दयालु और परोपकारी व्यक्तित्व भी खो दिया है। उनके योगदान को आने वाले वर्षों तक याद किया जाएगा, और उनके द्वारा स्थापित परंपराएं भारतीय उद्योग जगत को हमेशा प्रेरित करती रहेंगी