मोदी सरकार हर बार नये नये जुमले प्रस्तुत कर देशवासियों को ठगते रहे है
रांची : झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमिटी की प्रवक्ता आभा सिन्हा ने कहा है कि मोदी सरकार द्वारा संसद में पेश नारी शक्ति वंदन अधीनियम-2023 चुनावी जुमला से कम नहीं है। एक बार फिर मोदी सरकार आम चुनाव से पहले देश की महिलाओं की उम्मीदों के साथ विश्वासघात करने को आतुर है।
उन्होंने कहा कि भारत जी20 देशों के समूह का एकमात्र वह देश है, जहां दशकीय जनगणना अभी भी नहीं हो पाया है और मोदी सरकार की 2021 में होनेवाली दशकीय जनगणना में विफलता को दर्शाता है। मोदी सरकार द्वारा संसद में पेश नारी शक्ति वंदन अधीनियम-2023 के बारे में कहा गया है कि यह विधेयक अधिनियम बनने के बाद, जो पहली दशकीय जनगणना होगी, उसके उपरांत ही महिलाओं के लिए आरक्षण लागू होगा, तो इससे स्पष्ट होता है कि यह विधेयक केवल देश की महिलाओं से आगामी चुनाव में वोट लेकर उन्हें धोखा देना है।
उन्होंने कहा कि नारी शक्ति वंदन अधीनियम-2023 अगली जनगणना के प्रकाशन और उसके बाद परिसीमन प्रक्रिया के बाद प्रभावी होगा, तो इससे यह साफ हो जाता है कि महिला आरक्षण विधेयक एक चुनावी जुमला है। वर्तमान में 2029 के पूर्व यह संभव ही नहीं है।
उन्होंने कहा कि यह बिल स्त्रियों के लिए है, लेकिन यह सिर्फ चुनावी जुमले तक सीमित नहीं रहना चाहिए, एक बार गृहमंत्री अमित शाह ने इसी तरह का एक वादा किया था. लेकिन बाद में उन्होंने कहा था कि वह चुनावी जुमला था,
उन्होंने कहा कि देश की महिलाऐं यह जानना चाहती है कि इस विधेयक की लिमिट क्या है और उसका डेट और साल क्या है। इसे कब लागू किया जाएगा- दो साल, पांच साल या दस साल? उन्होंने सुझाव दिया कि जनगणना और परिसीमन का इंतजार करने की कोई जरूरत नही। महिलाओं के लिए आरक्षण सदस्यों की मौजूदा संख्या के अनुपात में किया जा सकता है, जो देश की महिलाओं के लिए हितकर होगा। उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण कानून के तहत ओबीसी के प्रावधान की जरूरत है और देश में 60 फीसदी ओबीसी लोग हैं और महिलाओं के लिए ओबीसी आरक्षण का प्रावधान नहीं रखने से यह 60 फीसदी आबादी सीधे तौर पर बाहर हो जाएगी। उन्होंने मोदी सरकार से अगले सत्र में इसका संशोधन विधेयक लाने की मांग की है।