Ranchi: झारखंड में कुड़मी समाज को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में और कुड़माली भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर बुधवार को कुड़मी संगठनों ने रेल टेका, डहर छेंका (रेल रोको-रास्ता रोको) आंदोलन शुरू किया। कुड़मियों के इस आंदोलन का असर झारखंड में व्यापक रूप से दिख रहा है। हालांकि, झारखंड पुलिस आंदोलन को लेकर काफी अलर्ट है। चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। हालंकि रेलवे की ओर से आंदोलन को देखते हुए कई ट्रेनों को कैंसिल कर दी गई है।
सरायकेला-खरसावां जिले में कुड़मी आंदोलनकारी नीमडीह स्टेशन के अंदर जाने की जिद पर अड़ गए। कुड़मियों ने पथराव भी किया, जिसके बाद पुलिस ने आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज कर दिया। पुलिस के लाठीचार्ज से आंदोलनकारी भागने लगे। कुछ आंदोलनकारी घायल भी हो गए, जिन्हें समाज के लोग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नीमडीह ले गए। घटना के बाद चांडिल के अनुमंडल पदाधिकारी रंजीत लोहरा, दंडाधिकारी सह सीओ सह बीडीओ संजय पांडे घटना स्थल पर पहुंचे और माइकिंग कर आंदोलकारियों को धारा 144 के बारे में बताया।
लाठीचार्ज के बाद नीमडीह रेलवे फाटक के दोनों ओर किसी भी व्यक्ति के आने-जाने पर रोक लगा दी गई है। इलाके में नीमडीह थाना प्रभारी तंजील खान, चांडिल के जीआरपी रमेश कुमार, जिला पुलिस बल, आरपीएफ और जीआरपीएफ मोर्चा संभाले हुए हैं। राज्य के विभिन्न स्टेशनों के आसपास का इलाका पुलिस छावनी तब्दील कर दिया गया है।
उधर, पश्चिमी सिंहभूम के सोनुआ थाना क्षेत्र अंतर्गत घाघरा स्टेशन और गोमो स्टेशन में रेल चक्का जाम कार्यक्रम में भाग लेने जा रहे आंदोलनकारियों को पुलिस ने रोका तो कुड़मी समाज के सदस्य की पुलिस के साथ बकझक हो गयी। इस दौरान सोनुआ थाना प्रभारी सोहनलाल से आंदोलनकारियों ने रोकने का कारण पूछा और पुलिस से उलझ गए। इसके बाद हो हंगामे करते हुए कुड़मी समाज जबरन घाघरा स्टेशन के अंदर चले गए।
धनबाद के गोमो स्टेशन में भी यही हाल हुआ। सैकड़ों महिला-पुरुष छोटे-बड़े वाहनों में सवार होकर घाघरा स्टेशन पहुंचे। हालांकि, स्टेशन के भीतर भी सुरक्षा बल तैनात हैं। उल्लेखनीय है कि कुड़मी समाज के लोगों का यह तीसरा आंदोलन है। केंद्र से उनकी मांग है कि उन्हें आदिवासी का दर्जा दिया जाए। फिलहाल ये लोग ओबीसी वर्ग के दायरे में आते हैं। एक अनुमान के मुताबिक, झारखंड में कुड़मी समाज के लोगों की आबादी 22 प्रतिशत है।