Ranchi: झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन एवं झारखंड श्रमिक संघ के केंद्रीय कार्य समिति की संयुक्त बैठक गरुवार को केंद्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन की अध्यक्षता में रांची के मोरहाबादी स्थित राजकीय अतिथि शाला के सभागार में सम्पन्न हुई। उक्त बैठक में यूनियन के संगठनात्मक बिंदुओं, मजदूर एवं विस्थापितों के ज्वलंत समस्याओं तथा यूनियन के सदस्यता अभियान तथा संगठन के मजबूती पर गहन विचार करते हुए झारखंड के विभिन्न कंपनियों जैसे सीसीएल, बीसीसीएल, ईसीएल, डीवीसी, बोकारो स्टील, टाटा स्टील, इलेक्ट्रोस्टील, एसईसी, टाटा मोटर्स तथा निजी प्रतिष्ठानों के साथ-साथ बंगाल राज्य के ईसीएल क्षेत्रों में संगठन विस्तार करने का निर्णय लिया गया। बैठक में सर्व समिति से झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन एवं झारखंड श्रमिक संघ के संगठन विस्तार करने हेतु वर्ष 2023 में सदस्यता अभियान चलाने तथा मजदूर-विस्थापितों के ज्वलंत समस्याओं को लेकर चरणबद्ध आंदोलन करने का निर्णय लिया गया।
मजदूर एवं विस्थापितों के ज्वलंत समस्याओं तथा हेमंत सरकार द्वारा निजी कंपनियों में विस्थापितों एवं स्थानीय को 75% नियोजन की घोषणा के क्रियान्वयन को लेकर सभी कंपनी के क्षेत्रों में चरणबद्ध आंदोलन करने का निर्णय लिया गया। भाजपा नेतृत्व वाली केंद्रीय सरकार द्वारा 44 श्रम कानून में से 29 श्रम कानूनों को कंपनियों के मालिकों एवं पूंजीपतियों के हित में चार कोड में बदले जाने जैसे कानून को भाजपा रघुवर सरकार ने झारखंड में वर्ष 2015, 2018 एवं 2019 मैं विधायक पास किया था उसको हेमंत सरकार द्वारा संशोधन करते हुए लागू नहीं होने का प्रस्ताव लिया जो स्वागत योग्य है, इसके साथ साथ केंद्र सरकार के प्रतिष्ठानों में कार्यरत आउट-सोर्स कंपनी मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी 25000 एवं “समान काम-समान वेतन” लागू करवाने का प्रस्ताव लिया गया।
भाजपा की रघुवर सरकार द्वारा विस्थापितों के जमीन आसानी से छीनने के लिए लैंड बैंक बनाया था, उसके जरिए अभी तक विभिन्न कंपनियों भू माफियाओं द्वारा नौकरशाह से गठजोड़ कर आसानी से विस्थापितों के जमीन को लूट रहे हैं तथा प्रबंधन आसानी से अपना प्लांट खदान चला रही है और दूसरी तरफ विस्थापित अपने जमीन मकान के एवज में नौकरी मुआवजा के लिए भटक रहे है। झारखंड में स्थित विभिन्न कंपनियों द्वारा ली गई विस्थापितों के जमीन के बदले मुआवजा एवं नौकरी नहीं मिलने पर चिंता व्यक्त करते हुए वर्तमान हेमंत सरकार से लैंड बैंक जैसे नियम को अविलंब रद्द करने की अपील किया जाता है।
केंद्रीय समिति बैठक में मुख्य रूप से केंद्रीय उपाध्यक्ष केंद्रीय मथुरा प्रसाद महतो, विजय हांदसा, महासचिव फागु बेसरा, संगठन सचिव विनोद पांडे, शैलेंद्र कुमार मैथी, जय नारायण महतो, विजय रजवार, निशा हेमरोम, सपन बनर्जी, बोधन मांझी, लखी सोरेन, नकुल महतो, हराधन रजवार, अपूर्व सरकार, यूधेश्वर सिंह, रंथू उराव, सोनाराम मांझी, उमाशंकर चौहान, अर्चना गुप्ता, मुरारी ओझा, आरएन सिंह के साथ-साथ यूनियन के सभी केंद्रीय समिति के पदाधिकारीगण उपस्थित थे।